दुबहर क्षेत्र के घोड़हरा स्थित महंथ जी के मठिया में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के तृतीय दिन शुक्रवार को आचार्य पंडित सिद्धनाथ जी ने कथा में समुद्र मंथन और अजामिल की कथा का वर्णन करते हुए कहा कि जो व्यक्ति सच्चे मन, श्रद्धा या जाने अनजाने में भी भगवान को याद करता है.