Rangmanch baghi Ballia

रंगमंच पर जीवंत हुआ बलिया का बागी इतिहास, “क्रांति 1942 बलिया” नाटक में साहस और बलिदान की दिखी झलक

बलिया. बलिया बलिदान दिवस की पूर्व संध्या पर कलेक्ट्रेट स्थित गंगा बहुद्देशीय सभागार में आशीष त्रिवेदी द्वारा लिखित और निर्देशित नाटक ‘क्रांति 1942@ बलिया ‘का मंचन किया गया.

आज से बलिया में होगा रंगकर्मियों का जमावड़ा

संकल्प साहित्यिक सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्था बलिया द्वारा अपने 15वीं वर्षगांठ पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय नाट्य समारोह “संकल्प रंगोत्सव” का आयोजन किया गया है.

युवाओं को परंपरा की थाती देता है आदर्श रामलीला कमेटी का रंगमंच

विजयादशमी के बाद से शुरू होनेवाली 98 साल पुरानी रामलीला मंचन की परंपरा कइ मायनों में युवाओं के लिए पाठशाला साबित हो रही हैं.

करि के गवनवाँ भवनवाँ में छोड़ि के, अपने परइलऽ पुरुबवा बलमुआँ…

तोहरे कारनवाँ परानवाँ दुखित बाटे,
दया क के दरसन दे दऽ हो बलमुआँ।
काइ कइलीं चूकवा कि छोड़लऽ मुलुकवा तूँ,
कहलऽ ना दिलवा के हलिया बलमुआँ।
साँवली सुरतिया सालत बाटे छतिया में,
एको नाही पतिया भेजवलऽ बलमुआँ।
कवना नगरिया डगरिया में पिया मोर,
करत होइबऽ घर-बास हो बलमुआँ।

शहर छोड़ी चल गंउवें, चलि के कर किसानी सजना

कवियत्री व अभिनेत्री राधिका तिवारी ने पूर्वांचल की युवतियों के दिलों में रंगमंच और साहित्य का सपना पैदा किया, जिससे इस रुढिवादी इलाके की अनेक महिलाएं अभिनय, गायन के क्षेत्र में आगे निकली.