Ballia LIVE Special: Fair organized at the Tapobhoomi of Maharishi Parashar Muni, incurable diseases like leprosy are cured by taking bath in Pokhara located near the temple.

बलिया LIVE स्पेशल: महर्षि पराशर मुनि के तपोभूमि पर लगा मेला, मंदिर के पास स्थित पोखरा में स्नान करने से कुष्ठ जैसे असाध्य रोग हो जाते हैं समाप्त

मेले में महिलाएं अपनी जरूरत की वस्तुओं को खरीदारी की तो वहीं बच्चों ने चाट ,जिलेबी के साथ चरखी, झूले का आनंद लिया. मेले में थानाध्यक्ष सुनील कुमार सिंह, उपनिरीक्षक अजय कुमार यादव अपनी पुलिस टीम के साथ पूरे दिन मुस्तैद रहे.

माई बिसरी, बाबू बिसरी, पंचकोशवा के लिट्टी-चोखा नाहीं बिसरी

इसे सनातन धर्म की आभा कहें या बक्सर जिला वासियों का संस्कृति से लगाव. बिहार का बक्सर जिला यहां एक दिन बहुत ही खास होता है. इस तिथि को बीस लाख से अधिक लोग एक ही साथ भोजन करते हैं. अगहन कृष्ण पक्ष की इस तिथि को लोग पंचकोश के नाम से जानते हैं. पांच दिनों का मेला जिस दिन समाप्त होता है, उस दिन हर घर में एक ही भोजन बनता है.

पंचकोशी परिक्रमा करते तीसरे पड़ाव भभुअर में पहुंचे

बक्सर जिले में आयोजित पंचकोशी परिक्रमा मेले का तीसरा पड़ाव भभुअर में था. यहां भग्र्वेश्वर महादेव की पूजा अर्चना कर श्रद्धालुओं ने चूड़ा-दही का प्रसाद ग्रहण किया. पंचकोशी परिक्रमा समिति ने यहां श्रद्धालुओं के लिए प्रसाद की व्यवस्था की थी. रात को ठहरने वालों के लिए टेंट आदि का इंतजाम भी किया है.

नदांव पहुंची पंचकोशी परिक्रमा, नर्वदेश्वर महादेव का जलाभिषेक

पंचकोशी परिक्रमा यात्रा के दूसरे दिन बक्सर जनपद के नदांव पहुंची. इसके लिए स्थानीय ग्रामीणों ने अपने स्तर से पूरी तैयारी की थी. गांव में साफ-सफाई और नर्वदेश्वर महादेव मंदिर को भी चकाचक किया गया था. यहां मेलार्थियों ने नारद सरोवर में स्नान किया और नर्वदेश्वर मंदिर में जलाभिषेक भी किया.

गर्ग मुनि के आश्रम पहुंची भृगु क्षेत्र की पंचकोशी यात्रा

राजा बलिकृत यज्ञ से पवित्रित बलिया की धरती पर परम पूज्य श्री खाकी बाबा द्वारा परवर्तित भृर्गु क्षेत्र की पंचकोशी यात्रा अनंत पुण्यदायिनी तथा अभिष्ट फलदायिनी है. सैकड़ों वर्षों से अपने इतिहास को समेटे यह यात्रा भक्तों की सभी अलौकिक परलौकिक फलों की पूर्ति सर्वदा करती आई है.

भृगु मंदिर से पंचकोषी परिक्रमा शुरू

मनुष्य का शरीर पंच कोष से निर्मित होता है. कलियुग में प्राण अन्नमय कोष में निवास करता है. इन पांच कोषों से आत्मा अलग है, जिसका साक्षात्कार ही मोक्ष है. इस गुह्य तथ्य की प्राप्ति के लिए ही हमारे ऋषियों ने अनेक मार्ग का प्रतिपादन किया था.