बीते 5 सालों में जिले के 35 हजार से अधिक गरीबों को मिले पक्के छत वाले घर

बलिया. हर गरीब परिवार को पक्का छत देने की सरकारी योजना के तहत जिले में पिछले पांच वर्षों में 35 हजार से अधिक परिवारों को आवास योजना के तहत पक्की छत उपलब्ध कराई जा चुकी है। परियोजना निदेशक डीएन दूबे के मुताबिक, वर्ष 2016-17 से अब तक कुल 49136 आवास स्वीकृत हुए थे, जिसमें 35358 आवास बनकर तैयार हो चुके हैं और उसमें परिवार रह भी रहे हैं।

 

पक्का आवास के लिए हर लाभार्थी को तीन किस्तों में एक लाख 20 हजार रुपये के साथ-साथ मनरेगा योजनान्तर्गत प्रति आवास 90 दिन की मजदूरी सीधे खाते में सरकार की ओर से भेजी जाती है। वित्तीय वर्ष में 2020-21 में जिन लाभार्थियों के आवास पूरे हो गए उनको 1 सितंबर को चाभी वितरित कर दी गई। चाभी वितरण के लिए जिला मुख्यालय से लेकर सभी ब्लॉक स्तर तक भव्य कार्यक्रम आयोजित हुआ।

प्रदेश सरकार की ओर से स्पष्ट निर्देश हैं कि किसी भी अपात्र को आवास नहीं मिलना चाहिए और कोई भी पात्र आवास से वंचित नहीं होना चाहिए। इसका नतीजा भी देखने को मिला है। किसी भी गांव में शायद ही कोई ऐसा परिवार बचा है जिसके पास कच्चा मकान हो। जरूरत के हिसाब से आज भी आवास योजना के तहत पक्की छत दिलाने के लिए सरकार कटिबद्ध है।

 

घर की दहलीज लांघ तरक्की की राह बना रही महिलाएं

 

बलिया. दीनदयाल अंत्योदय योजना राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत जनपद में स्वयं सहायता समूह के माध्यम से महिलाओ को संगठित करते हुए उनके सशक्तीकरण और आजीविका संवर्धन के लिए बेहतर प्रयास किया जा रहा है। अभी तक बलिया में छह हजार स्वयं सहायता समूहों का गठन किया जा चुका है, जिसमे ग्रामीण क्षेत्रों की करीब 65 हजार हजार महिलाएं जुड़ चुकी है। महिलाओ को वित्तीय समावेशन से जोड़ते हुए अभी तक जनपद के 3125 स्वयं सहायता समूहों को रिवाल्विंग फण्ड के रूप में 15 हजार प्रति समूह की दर से राशि भी उपलब्ध करवाई जा चुकी है। इसके अतिरिक्त वर्तमान वित्तीय वर्ष से सभी विकास खंड को इंटेंसिव घोषित कर दिया गया है और 1032 छह माह पुराने पात्र सक्रिय समूहों को सामुदायिक निवेश निधि के रूप में एक लाख दस हजार रुपये का ऋण भी उपलब्ध करवाया गया है। महिलाए समूहों से कर्ज लेकर अपनी खुद की कमाई का स्रोत भी बना रही है। मनियर के स्वयं सहायता समूहों द्वारा बेसन निर्माण का कार्य किया जा रहा है तो दुबहर के स्वय सहायता समूह सत्तू निर्माण करके आजीविका को बढ़ा रहे है। ऐसे ही महिलाए अगरबत्ती, मोमबत्ती, बैग, बच्चो का खिलौना, मशरूम, आचार आदि का निर्माण करके आगे बढ़ रही है।

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