बांकेलाल सिंह के आदर्शों को आत्मसात कर उनके अधूरे कार्य पूरा करना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी. यह बात चौथी पुण्यतिथि पर हुई विचार गोष्ठी में कही.
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