Tag: भृगु मंदिर
मनुष्य एक विचारवान प्राणी है. यह एक ओर जहां अपनी सांसारिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए सचेष्ट और प्रयत्न शील रहता है, वहीं दूसरी ओर अपनी मुक्ति के लिए भी आतुर और चिंतित रहता है. ऋषि-महर्षियों चिंतकों मनीषियों और धर्म धुरंधरों ने मानव की इसी चित्त-वृत्ति को देखते हुए लोकमंगल की भावना से समय समय और स्थान स्थान पर मुक्ति के साधन और स्थल को भी रेखांकित किया है.