सांसद आदर्श गांव के अस्तित्व पर खतरा, ग्रामीणों ने चुनाव बहिस्कार का टांगा पोस्टर

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20 फरवरी तक कार्य शुरू नहीँ होने पर आमरण अनशन व चक्का जाम की दी है चेतवनी

रामगढ़ (बलिया)। सांसद आदर्श ग्राम केहरपुर को लेकर न जाने कितने वादे किए गए थे. गांव के लोगों को आदर्श होने का पाठ भी खूब पढ़ाया गया था. गांव में साफ-सफाई सहित विकास की बातें भी हुई थी. लेकिन सभी यह भूल गए कि इस गांव पर असल खतरा तो गंगा के कटान का है. इधर कटान से प्रभावित गांव केहरपुर, सुघर छपरा व अवशेष गंगापुर को बचाने हेतु बाढ़ खंड ने शासन को प्रोजेक्ट भी भेजा था. किंतु इस साल के बजट में वह स्वीकृत ही नहीं हुआ. मतलब यह कि इस साल यहां कोई कटानरोधी कार्य नहीं हो पाएगा.

इस बात की जानकारी होने पर गांव के लोगों की चिंता बढ़ गई है. अब उनका अस्तित्व कैसे बचेगा, बड़ा सवाल यह भी है. अब विकास के सपने जगाने वाले सभी जनप्रतिनिधि भी चुप हैं. गांव के लोग बताते हैं कि तकनीकी सलाहकार समिति द्वारा बाढ़ खंड के भेजे गए प्रोजेक्ट को अगले सत्र में प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है. अब गांव के लोगों ने यह निर्णय लिया है कि वे सामूहिक रुप से लोकसभा चुनाव- 2019 का बहिष्कार करेंगे. इसके लिए सभी ने एक बैनर भी गांव के बाहर टांग रखा है.

गांव के रमेश ओझा, अभिषेक ओझा, अमित ओझा, बृजकुमार ओझा, अनूप ओझा, जयप्रकाश ओझा, अनिल ओझा, मदन ओझा, प्रधान विजयकांत पांडेय आदि का कहना है कि आदर्श गांव घोषित होने पर ग्रामवासियों को लगा था कि अब गांव का कायाकल्प हो जाएगा. लेकिन यहां तो गांव का ही अस्तित्व समाप्त होने के कगार पर आ पहुंचा है. जब इस गांव को आदर्श ग्राम के रुप में सांसद भरत सिंह ने गोद लिया था. तो इसके चहुंमुखी विकास का वादा किया गया था किंतु विकास तो दूर इसके अस्तित्व की रक्षा के लिए भी अब कोई गंभीर नहीं है. गौरतलब है कि दुबेछपरा-गोपालपुर शासन स्तर से गंगा के कटान से बचाने हेतु 29 करोड़ का प्रोजेक्ट पहले से ही स्वीकृत है. जिस पर अवशेष धन से कटानरोधी कार्य चल रहा है. इसमें भी लूट-खसोट की कहानी समाहित है. इससे अलग 49 करोड़ से सांसद आदर्श गांव केहरपुर व 12 करोड़ की लागत से गंगापुर बचाने के लिए बाढ़ खंड ने प्रोजेक्ट बनाकर भेजा था. लेकिन कतिपय कारणों से उसकी स्वीकृति नहीं हो सकी.

20 फरवरी तक काम शुरू नहीं हुआ तो अनशन

ग्रामीण अब इस बात पर अड़े हैं कि यदि 20 फरवरी से कटानरोधी कार्य शुरू नहीं हुआ तो ग्रामीण आमरण अनशन व चक्का जाम भी करेंगे. इसके साथ ही चुनाव बहिष्कार भी करेंगे. इस बात की भनक मिलते ही विभाग और जनप्रतिनिधियों की बेचैनी बढ़ गई है. ग्रामीणों का कहना हैं कि केहरपुर के 65 आवासीय भवन, सुघर छपरा के 200 आवासीय भवन, जूनियर हाईस्कूल, चार प्राथमिक विद्यालय, आंगनबाड़ी केंद्र, पानी टंकी आदि के अस्तित्व पर भी खतरा मंडरा रहा है. लेकिन सरकार यहां के लोगों की पीड़ा नहीं जानना चाहती.