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भाजपाा जिला कार्यालय पर आयोजित सम्मान समारोह को संबोधित करते हुए मनोज सिंह ने कहा कि समाजवादी पार्टी छोड़ने की मुख्य वजह थी कि वह पार्टी एक जाति विशेष की पार्टी है और हम सभी के साथ रहने में विश्वास रखते हैं. भाजपा चुंकि सर्व समाज को लेकर चलती है और सभी के मान सम्मान और स्वाभिमान की रक्षा करती है इसलिए मैने भाजपा की सदस्यता ग्रहण की है.
बंद का समर्थन उप्र राज्य कर्मचारी महासंघ बलिया, उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ बलिया, सेवा निवृत्त शिक्षक कर्मचारी/अधिकारी समन्वय समिति बलिया, डिप्लोमा फार्मासिस्ट एसोसिएशन बलिया, रसोइया संघ, कोटेदार संघ, अधिवक्ता संघ, टैक्स बार एसोसिएशन बलिया, भूतपूर्व सैनिक संगठन बलिया, ट्रेड यूनियन बलिया, छात्र संगठन, जनपद के विभिन्न व्यापारी संगठनों के अलावा राजनैतिक और सामाजिक संगठनों ने किया है.
वक्ताओं ने कहा कि उत्तर प्रदेश के अंदर हमारे समाज के ऊपर जितना जुल्म हो रहा है, आज के पहले कभी इतना जुल्म नहीं होता था. इसीलिए गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने निर्णय लिया है कि हम 2022 में समाजवादी पार्टी की सरकार अखिलेश यादव के नेतृत्व में बनाएंगे, इसके लिए हम हर बूथ बूथ पर समाजवादी कार्यकर्ताओं के साथ मुस्तैदी से खड़े रहेंगे.
जनपद में छात्रसंघ चुनाव को नामांकन के ऐनवक्त स्थगित करने पर उक्त प्रतिक्रिया टी. डी. कालेज छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष एवं समाजवादी पार्टी के जिला प्रवक्ता सुशील पाण्डेय”कान्हजी”व्यक्त किया. कहा कि भाजपा के सहयोगी संगठन प्रदेश में छात्रसंघ चुनावों में हिस्सेदारी करती आई है. इस बार उसे उम्मीदवार तक नही मिल पाए.
ॉ.अखण्ड ने कहा कि देश एवं प्रदेश में चल रही भाजपा सरकार की जनविरोधी नीतियों के चलते आम जनता काफी परेशान हैं. कमरतोड़ महंगाई,भयंकर बेरोजगारी, महिला उत्पीड़न में वृद्धि, पेट्रोल एवं डीजल के दामों में बेतहाशा वृद्धि,गरीबों के पहुंच से बाहर महंगा कुकिंग गैस सिलेंडर,खाद्य सरसो तेल, रिफाइन तेल,अरहर की दाल आदि खाद्य जिंसों में असह्य मूल्य वृद्धि के चलते प्रदेश और देश की जनता जहां कराह रही है,वहीं काफी आक्रोशित भी है. ऐसी स्थिति में प्रदेश की त्रस्त जनता वर्तमान में चल रही भारतीय जनता पार्टी की सरकार से मुक्ति पाने का मन बना चुकी है.
जिलाधिकारी को दिए पत्रक में सपाजनो ने कहा कि समाजवादी सरकार के दौरान अखिलेश यादव ने चांदपुर के सामने घाघरा नदी पर बिहार से जोड़ने वाला जो पुल दिया था, वास्तव में इस दियारे क्षेत्र के विकास में मिल का पत्थर होता लेकिन दुर्भाग्यवश नदी का कटान पुल के बगल से होने के कारण हजारों एकड़ कृषि योग्य भूमि नदी में समा गई है