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पत्रक में बलिया जनपद के सूखाग्रस्त एवं बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों को चिह्नित कर वहां की समस्याओं के समाधान हेतु मांग की गई है. इसमें कहा गया है कि बलिया जनपद की भौगोलिक स्थिति ऐसी है की तीन तरफ से नदियों से घिरा हुआ है. नदियों के बाढ़ को रोकने वाले बंधे इतने पुराने और जर्जर हो चुके हैं कि इस जनपद के लोग प्रत्येक वर्ष बाढ़ की विभीषिका को झेलने को मजबूर हैं.
बलिया जनपद के संयोजक व द्वाबा संस्कृत प्रचार समिति महाविद्यालय बैरिया के प्राचार्य डॉ अरविंद राय ने बताया कि संस्कृत महाविद्यालय, माध्यमिक संस्कृत जूनियर हाई स्कूल,हाई स्कूल, इंटर कॉलेज, विद्या मंदिर, गुरुकुल, संगीत विद्यालय, महाविद्यालय, शासकीय एवं अशासकीय विद्यालय के छात्र-छात्राएं प्रतिभाग करेंगे.
बड़ी-बड़ी कुर्बानियों के बाद मिली आजादी को अक्षुण्ण बनाए रखने व राष्ट्र के और नवनिर्माण के गुरुउत्तर जिम्मेदारी आज के युवाओं की है. युवा आगे बढ़े और बिना किसी भेदभाव के दलगत राजनीति से ऊपर उठकर राष्ट्र के नवनिर्माण का संकल्प लें. भारत माता की भी यही पुकार है. यह बातें वयोवृद्ध स्वतंत्रता सेनानी पंडित राम विचार पांडे ने कही.
बलिया जिले के विकासखंड सोहांव के अंतर्गत आने वाले भी पिपरा कलाँ गाँव के रहने वाले राहुल सिंह पुत्र स्वर्गीय डॉक्टर भगवान सिंह को इस वर्ष 75वे स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर अदम्य साहस और शौर्य के लिए राष्ट्रपति वीरता पदक से अलंकृत किए जाने हेतु आधिकारिक पुष्टि कर दी गई है. इनके द्वारा भारतीय वायुसेना में C – 17 एवं ग्लोब मास्टर की अनेको सफल उड़ान करने हेतु खतरे एवं संकट की घड़ी में काबुल , अफगानिस्तान से भारतीय लोगों को सुरक्षित जमीन पर लाने में महत्वपूर्ण योगदान रहा.
मंगलवार की सुबह पेट्रोल पंप से कंटेनर लेकर बलिया की तरफ जा रहे थे. अभी मिड्ढा गांव के समीप वाहन पहुंचा था कि मार्ग के किनारे से गुजर रहे ग्यारह हजार वोल्ट की तार से वाहन सट गया. तार में विद्युत प्रवाहित हो रही थी।जिससे पूरे कंटेनर में करेंट आ गया. मौके पर ही करेंट की चपेट में आने से विनय की मौत हो गई.
आचार्य चतुर्वेदी मध्यकालीन संत साहित्य के विद्वान के रूप में सम्मानित हैं. श्रीमती सूरजा देवी एवं राम छबीला चतुर्वेदी के पुत्र के रूप में आचार्य परशुराम चतुर्वेदी का जन्म बलिया जनपद के जवही ग्राम में आज ही के दिन हुआ था. पेशे से वकील होने के बावजूद आपका मन साहित्य साधना में रमा और आपने विद्वता का शिखर छूआ.
अधिवक्ताओं का कहना है कि तहसीलदार का स्थानांतरण हमारी समस्या का समाधान नहीं है. हमारी मांग तहसीलदार शैलेन्द्र चौधरी के निलंबन,उन्हें विभागीय जांचकर दंडित करना व हमारे द्वारा बैरिया एसएचओ को दिए गए तहरीर पर मुकदमा कर उन्हें जेल भेजना हमारी मांग थी. जब तक हम लोगों की यह तीन मांगे पूरा नहीं हो जाती तब तक हमारा आंदोलन ऐसे ही जारी रहेगा.