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मुख्य वक्ता बंगलुरु नैक के असिस्टेंट एडवाइजर डॉ. नीलेश पांडेय ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति सात राज्यों में लागू कर दिया गया है. साल 2017 से नैक एक्रिडिएशन की नई नीति लागू की गई है. महाविद्यालय और विश्वविद्यालय को नैक कराना जरूरी है, इसको कराए बिना महाविद्यालय, विश्वविद्यालय को रिसर्च ग्रांट समेत अन्य ग्रांट नहीं मिलेंगे. डाटा के साथ किसी भी प्रकार का वैरिएशन नहीं होना चाहिए.
महाविद्याल के संस्थापक व प्रबन्धक श्री लल्लन सिंह ने व्यक्त किया. पुरातन छात्रों का प्रतिनिधित्व करते हुए बिहार में शिक्षक एवं ब्राह्मण स्वयंसेवक संघ के प्रदेश महासचिव राजेश मिश्र ने कहा कि महाविद्यालय मानव निर्माण की अवधारणा पर काम करता है महाविद्यालय के विकास में पुरातन छात्रों की सहभागिता हमेशा बनी रहेगी राजेश मिश्र ने कहा कि महाविद्यालय से शिक्षा ग्रहण करके निकलने वाले अधिकार छात्र छात्राएं आज सरकारी सेवाओं सहित विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न स्थानों पर महाविद्यालय का नाम रोशन कर रहे हैं विशिष्ट अतिथि डॉ० गरिमा सिंह ने अपने उद्बोधन में कहा कि पुरातन छात्र सम्मेलन समारोह का आयोजन महाविद्यालय की विशिष्टता और उसकी अलग पहचान को स्पष्ट अभिव्यक्त करता है.
मुख्य अतिथि प्रो0 उपाध्याय ने कार्यक्रम की प्रशंसा करते हुए कहा कि महाविद्यालय की यह पहल सराहनीय है और मैं इसके आयोजक को शत-शत नमन करता हूं.
देश के पहले स्वतंत्रता सेनानी या फिर पहले शहीद मंगल पांडेय के पैतृक गांव नगवा में उनके नाम पर एक महिला महाविद्यालय बीते दस साल से बस बन ही रहा है. कब तक बन जाएगा? इस सवाल का जवाब किसी के पास नहीं है. 8 अप्रैल 2005 को अमर शहीद के बलिदान दिवस के मौके पर तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने इस महाविद्यालय को बनाने की घोषणा की थी. लगे हाथ उन्होंने इसके लिए धन भी मुक्त करवा दिया. तत्कालीन मुख्यमंत्री ने कला, विज्ञान व वाणिज्य की स्नातक शिक्षा के मान्यता भी प्रदान करवा दी.
मंगल पांडेय विचार मंच उत्तर प्रदेश की बैठक रविवार को अमर शहीद के पैतृक गांव नगवा में हुई. मंच के सदस्य दयानंद मिश्र ने कहां की मंगल पांडेय उस शख्सियत का नाम है, जिन्होंने ब्रिटानिया हुकूमत के खिलाफ आवाज बुलंद की. उन्होंने एक ऐसी चिंगारी पैदा की, जिसके आग में ब्रिटानिया हुकूमत खाक हो गई. उन्हीं के बदौलत आज हम स्वतंत्र भारत के नागरिक हैं. बैठक की अध्यक्षता करते हुए कृष्ण कांत पाठक ने कहा कि उनकी स्मृतियों को संजोए रखने के लिए समय-समय पर उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व के संबंध में वाद विवाद प्रतियोगिता, निबंध लेखन प्रतियोगिता, चित्रकला प्रतियोगिता आयोजित की जाएंगी और सफल प्रतिभागियों को मंच की ओर से सम्मानित किया जाएगा.