भारतीय संस्कृति के पोषक हैं श्रीराम

मेरे जैसे अल्प ज्ञानी के लिए भगवान श्रीराम पर कुछ तय लिखना अपने आप में एक दुष्कर कार्य है फिर भी अभी तक मैंने जो कुछ भी पढ़ा है,

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लंका विजय के बाद भगवान राम के अयोध्या आगमन की खुशी में मनाए जाने वाले इस पर्व के प्रति लोगों का उत्साह चरम पर था. दिन भर की साफ-सफाई के बाद शाम ढलते ही घरों और प्रतिष्ठानों में समृद्धि की देवी मां लक्ष्मी व शुभ के देवता भगवान गणेश का पूरे विधि-विधान के साथ आह्वान किया गया.

भगवान श्रीराम का जन्मोत्सव श्रद्धा पूर्वक धूम-धाम से मनाया

जन्मोत्सव के पूर्व सुबह में गाजे- बाजे के साथ राम, लक्ष्मण, भरत,शत्रुघ्न चारों भाइयों की मनोहारी झांकी रथ पर सजा कर गाजे-बाजे के साथ पूरे क्षेत्र में घुमाई गई. शोभा यात्रा में सैकड़ों मोटरसाइकिल,घोड़े,ऊंट शोभा बढ़ाने के लिए काफी थे. रास्ते में जगह- जगह लोगों ने फूलों की वृष्टि की. इस दौरान जय श्रीराम के उद्घोष से पूरा इलाका गूंज उठा.