
बलिया : शान्तिकुंज हरिद्वार के तत्वावधान में आयोजित 108 कुंडीय गायत्री महायज्ञ शक्तिपीठ प्रमुख विजेंदर नाथ चौबे की देख-रेख में चल रहा है. हरिद्वार से आये प्रवचनकर्ता शशिकांत सिंह ने गुरुवार की शाम प्रज्ञा पुराण कथा में कहा कि संत वही जो सिर्फ लोक कल्याण की कामना करते हैं. जो दूसरे की पीड़ा देख द्रवित हो जाते हैं उसे ही संत कहते हैं.
उन्होंने कहा कि रविदास मोची का काम करते थे लेकिन शुद्ध विचार होने के कारण वे संत कहलाये. उन्होंने कहा भी है कि ‘मन चंगा तो कठौती में गंगा’. संत का हृदय नवनीत (मक्खन) के समान होता है.
प्रवचनकर्ता ने कहा कि समाज और ब्रम्हांड को सकुशल संचालित करने में ऋषियों का महत्वपूर्ण योगदान है. भगवान सबके मालिक है और ऋषि मैनेजर हैं. ऋषि पूरी व्यवस्था संचालित करते हैं, कुमार्ग पर भटकने नहीं देंगे.
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उन्होंने कहा कि मानव को भगवान श्रीराम और जगत जननी माता सीता के पदचिन्हों का अनुसरण करना चाहिए. जैसे श्रीराम आदर्श पुत्र, भाई, पति और पिता हैं, उसी तरह जानकी श्रेष्ठ पुत्री, बहन, पत्नी और माता के रूप में जगत प्रसिद्ध है.
सिंह ने कहा कि जो मनुष्य हर रिश्ते में फीट बैठे वहीं पुरुष-नारी अनुकरणीय है. सात्विक बुद्धि का मतलब यह है कि समझदारी, ईमानदारी, जिम्मेदारी और बहादुरी. ये चार मंत्र हैं जो देवी-देवताओं के प्रतिनिधित्त्व करते हैं.
प्रवचनकर्ता ने कहा कि जैसे समझदारी के देवता गणेशजी और देवी मां गायत्री है.उसी तरह ईमानदारी के देवता भगवान विष्णु हैं और देवी माता लक्ष्मी है. जिम्मेदारी के देवता ब्रम्हाजी है और देवी मां सरस्वती जबकि बहादुरी के देवता भगवान शंकर और शक्ति स्वरुपा मां दुर्गा हैं.