इस धार्मिक अनुष्ठान में गांव की महिलाओं ने भी बढ़-चढ़ कर भाग लिया. इस अवसर पर अनेक लोग मौजूद रहे. वही डीजे की भक्ति धुन पर बच्चे एवं ग्रामवासी थिरकते रहे.
वक्ताओं ने कहा कि सत गुरु रविदास जी भारत के उन चुनिंदा महापुरुषों में से एक हैं जिन्होंने अपने रूहानी वचनों से सारे संसार को एकता भाईचारा का संदेश दिया.
सुबह से ही यज्ञकर्ता आचार्यों द्वारा पढ़े जाने वाले मंत्रों की गूंज से वातावरण में भक्तिमय माहौल बना हुआ है. दोपहर से प्रवचन की गूंज इलाके में गूंज रही है.
प्रवचनकर्ता ने कहा कि राजा दशरथ की भी मृत्यु अपने पुत्र भगवान राम के वियोग में तड़प- तड़प कर ही हुई. भगवान अपने पिता को कर्म फल से छुड़ाने में असमर्थ रहे.
राजा दशरथ के पुत्रेष्टि यज्ञ करने के बाद जब तीनों रानियों के बीच खीर का वितरण होने लगा तो एक गिद्ध ने कैकेई के हिस्से के खीर से कुछ अंश झपट लिया और उड़ गई.
शोभायात्रा में यज्ञाचार्य मातलेश्वर पांडेय के साथ पवन तिवारी और वाराणसी से आये कई आचार्य शामिल थे. श्री मद्भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ 18 जनवरी को संपन्न होगा.
आचार्य ने कहा कि कलशयात्रा अपने आप में यज्ञ है. उन्होंने कहा कि मनुष्य के किसी पुण्य का उदय होता है तो कलशयात्रा या यज्ञ में भाग लेने का अवसर मिलता है.
आचार्य शास्त्री ने कहा कि अच्छे संस्कार कथा से ही लोगों को प्राप्त हो सकते हैं. इसलिए कथा सुनने के लिए माता पिता अपने बच्चों को भी अवश्य साथ लेकर जाएं.
ब्यासी गांव स्थित अखार के दत्तुमठ में श्रीमद् भागवत कथा के चौथे दिन वामन भगवान के जन्म महोत्सव की कथा प्रसिद्ध कथावाचक आचार्य गौरव कृष्ण शास्त्री ने सुनायी.