विभिन्न प्रकार के बैंड बाजे पर बाराती थिरक रहे थे. इस अद्भुत दृश्य को देखने के लिए सड़कों के किनारे हजारों की संख्या में लोग घंटों से इंतजार कर रहे थे.
शिवभक्त मंदिर के गर्भगृह में देर न करें, इसके लिए प्रबंध समिति की तरफ से स्वयंसेवक तैनात थे. प्रार्थना, आरती तथा दीपदान के लिए मंदिर के बाहर व्यवस्था थी.
श्री धाम वृंदावन से आये भगवताचार्य राम कुमार शास्त्री जी की अगुवाई में नर नारी देवी देवताओं का जयकारा लगाते हुए पतित पावनी गंगा तट सती घाट बहुआरा पहुंचे.
घर लौटते समय दोनों भाई छाता रेलवे लाइन के किनारे बिछे पत्थर के टुकड़ों में से पांच चिकने पत्थर की पिंडी घर लाए. एक बेल वृक्ष के नीचे रख गंगाजल चढ़ाने लगे.
इस बार नगर से निकलने वाली बारात पांच रथों में एक पर भगवान भोलेनाथ दूल्हा बनेंगे, एक रथ पर ब्रह्मा, एक पर विष्णु, एक पर महर्षि नारद तथा एक पर बाराती रहेंगे.
कथावाचक दीपू भाई ने मर्यादा के संबंध में रामचंद्रजी की जीवन चरित्र को बताया. उन्होंने कहा कि मर्यादा की बदौलत रामचंद्र जी को मर्यादा पुरुषोत्तम कहा गया.
वह जंगल में शिकार पर गए तो श्रृंगी ऋषि के तपस्या कर रहे पिता की गर्दन में सर्प लपेट दिया. इसके बाद घर चले आए. श्रृंगी ऋषि ने यह सब देखा तो श्राप दे दिया.
पं. उपाध्याय ने शक्तिपीठ पर सर्वप्रथम मां गायत्री का दर्शन कर आशीर्वाद लिया. उसके बाद शक्तिपीठ के प्रांगण के चारों तरफ घूम दिव्य क्षेत्रों का अवलोकन किया.
इस धार्मिक अनुष्ठान में गांव की महिलाओं ने भी बढ़-चढ़ कर भाग लिया. इस अवसर पर अनेक लोग मौजूद रहे. वही डीजे की भक्ति धुन पर बच्चे एवं ग्रामवासी थिरकते रहे.
वक्ताओं ने कहा कि सत गुरु रविदास जी भारत के उन चुनिंदा महापुरुषों में से एक हैं जिन्होंने अपने रूहानी वचनों से सारे संसार को एकता भाईचारा का संदेश दिया.
सुबह से ही यज्ञकर्ता आचार्यों द्वारा पढ़े जाने वाले मंत्रों की गूंज से वातावरण में भक्तिमय माहौल बना हुआ है. दोपहर से प्रवचन की गूंज इलाके में गूंज रही है.