यज्ञ, पूजा, पाठ से करुणा व प्रेम के भाव जागृत होते हैं – संत रामबालक दास

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बैरिया (बलिया)। इब्राहिमाबाद स्थित सीताराम मंदिर परिसर में आयोजित रूद्र महा यज्ञ में पहुँचे परम पूज्य संत रामबालक दास जी महाराज ने बुधवार को उपस्थित श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए कहा कि आज समाज में परोपकार कि भावना पहले की तुलना में कम देखने को मिल रही है. यज्ञ, पूजा, पाठ से मनुष्य के अंदर करुणा व प्रेम के भाव जागृत होते हैं, तब वह दूसरे के कष्ट को देखकर द्रवित होता है. दूसरे की भलाई के लिए प्रस्तुत होता हैं.

उन्होंने कहा कि रामचरित मानस में गोस्वामी तुलसी दास जी ने साफ साफ लिखा हैं, परहित सरिस धर्म नहीं भाई, पर पीड़ा सम नही अधमाही. दूसरे का हित करने से बड़ा न कोई धर्म है और न ही दूसरे को पीड़ा पहुचाने से बड़ा कोई पाप. सच मानो जिन लोगों को दूसरो को कष्ट पहुंचाने में मन लगता वह निश्चित ही अधम हैं, उसकी सद्गति नहीं हो सकती हैं. रामबालक दास जी ने कहा कि भगवान की शरण में जो भी जाता हैं, उसको वे निश्चित ही अपना लेते हैं, जो पुन्य कार्य में जैसे संत सेवा में, गो सेवा में, लोगों के कल्याण में पूजा पाठ में यज्ञ में लगे रहते हैं, प्रभु उनका तो कल्याण करते ही हैं, लेकिन उनको भी अपना लेते हैं, जो पाप कर्मों को छोड़ उनकी शरण में आ जाता हैं.

उन्होंने रामचरित मानस से उदाहरण देकर बताया कि कोटि बिप्र बध लगही जोई। आये शरण तजहु नहीं सोई।। सन्मुख होइ जीव जब हमहि।कोटि जन्म अध नासही तबही।। रामबालक दास जी ने कहा अपना कल्याण चाहते है, परिवार में सुख शांति चाहते हैं तो ईश्वर का नाम जप करिये और परहित कि भावना रखिये. इस संसार में उस आदमी के लिये कुछ भी दुर्लभ नहीं हैं, जो परहित के लिये तत्पर रहता हैं.

इस अवसर पर अयोध्या से पधारे सियाराम दास जी, जयराम दास जी, श्याम बिहारी दास, बृंदाबन के रामकुमार दास के अलावे चंग बाबा, शिवमंगल दास, सीता राम कुटी इब्राहिमाबाद के महंथ बिमल दास के अलावे यज्ञ के यजमान बिनोद सिंह, राजा सिंह, दिवान सिंह, सुनील सिंह पपू, भुवर सिंह मौजूद थे.

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