राज्य में पंचायत चुनाव पिछले साल 25 दिसंबर से पहले ही हो जाने चाहिए थे लेकिन कोरोना महामारी की वजह से इसे टालना पड़ा। अब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार को पंचायत चुनावों को लेकर महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश जारी किए। अदालत ने कहा कि 17 मार्च तक आरक्षण का काम पूरा कर लिया जाए और 30 अप्रैल तक प्रधानों के चुनाव कराए जाएं। इसके साथ ही 15 मई तक ब्लॉक प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष के भी चुनाव कराए जाएं।
राज्य निर्वाचन आयोग चुनाव कराने के लिए मोहलत चाह रहा था और मई में चुनाव कराना चाहता था लेकिन हाई कोर्ट ने निर्वाचन आयोग के प्रस्ताव को नामंजूर कर दिया। रिपोर्ट्स के मुताबिक हाई कोर्ट के रुख को देखते हुए आयोग अब 42 से 45 दिनों में ही चुनाव कराने की तैयारी में जुट गया है। ऐसे में 30 अप्रैल, 2021 तक प्रधानी के चुनाव की प्रक्रिया पूरी करने के लिए आयोग 18 मार्च को पंचायत चुनाव की अधिसूचना जारी कर सकता है। हालांकि इसके लिए राज्य सरकार को भी पदों के आरक्षण की अधिसूचना समय से जारी करनी होगी।
राज्य निर्वाचन आयोग के अपर निर्वाचन आयुक्त वेद प्रकाश वर्मा ने कोर्ट के फैसले पर कहा कि निर्वाचन आयोग अदालत की तरफ से तय समय-सीमा में चुनाव कराने को पूरी तरह से तैयार है। चुनाव कराने के लिए आयोग की मतदाता सूची प्रकाशित हो चुकी है। 52.50 करोड़ मतपत्र और 90 हजार मतपेटियां जिलों में भेजी जा चुकी हैं साथ ही अमिट स्याही का आर्डर भी हो चुका है।
बताते चलें कि राज्य निर्वाचन आयोग वर्ष 2000 में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव सिर्फ 37 दिनों में ही करा चुका है। इसी तरह साल 2010 में भी सिर्फ 45 दिनों के एक ही राउंड में ही पूरी चुनाव प्रक्रिया पूरी की गई थी। 2015 में दो राउंड में हुए चुनाव में पहला राउंड 42 दिनों का व दूसरा 37 दिनों का रहा था।
इस बार पूरी चुनाव प्रक्रिया 45 दिनों के अंदर ही पूरी की जानी है, इसीलिए आयोग प्रधान, ग्राम पंचायत सदस्य, क्षेत्र पंचायत सदस्य व जिला पंचायत सदस्य के चारों पदों के लिए एक साथ चुनाव कराने की तैयारी में है। चारों पदों के लिए एक साथ चार चरणों में चुनाव कराए जा सकते हैं।