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रानीगंज बाजार से पूरब सुदिष्टपुरी मे सन्त सुदिष्ट बाबा आश्रम परिसर में लगने वाले धनुष यज्ञ मेला के प्रथम चरण में लगने वाला अश्व मेला शनिवार को अपने पूरे शबाब पर रहा. मेले मे खरीद बिक्री का माहौल अच्छा होने से अश्व पालक व व्यापारी दोनों प्रसन्न नजर आये. मेले में उम्दा नस्ल के घोड़ा घोड़ी, कृषि उपयोग और वर्किंग प्रजाति के खच्चर व गधे भी काफी तादाद में जुटे हैं.
भारतेन्दु सत्संग मंच मेला ददरी में चतुर्थ दिवसीय सत्संग के तीसरे दिन पं. विजय नारायण शरण जी ने कहा कि घोर कलियुग में माया रूपी चक्की में पीसने से बचने के लिए एक मात्र कील रूपी हरि के शरण में जाना पड़ेगा, जैसे की कबीर बाबा का दोहा चलती चक्की देखकर दिया कबिरा रोय, दो पाटन के बीच में, साबुत बचा न कोय, वहीं पर कमाल जी का दोहा मिलता है चलती चक्की देखकर हंसा कमाल उठाय.
बाबा भोले भंडारी की नगरी ब्रह्मपुर की एक अलग ही विशिष्टता है.. यहां पर हरेक जगह से लोग आते है और बाबा की पूजा अर्चना करते है. महाशिव रात्रि के समय का नज़ारा अद्भुत होता है. ये मंदिर बक्सर, आरा, बलिया, छपरा और सासाराम मे बहुत ज़्यादा प्रसिद्ध है. वैसे तो बिहार और उत्तर प्रदेश के कोने कोने से श्रद्धालु यहां पर दर्शन करने आते हैं.
इसे सनातन धर्म की आभा कहें या बक्सर जिला वासियों का संस्कृति से लगाव. बिहार का बक्सर जिला यहां एक दिन बहुत ही खास होता है. इस तिथि को बीस लाख से अधिक लोग एक ही साथ भोजन करते हैं. अगहन कृष्ण पक्ष की इस तिथि को लोग पंचकोश के नाम से जानते हैं. पांच दिनों का मेला जिस दिन समाप्त होता है, उस दिन हर घर में एक ही भोजन बनता है.
बलिया पशु मेला से एक सप्ताह बाद से शुरू होने वाले सन्त सुदिष्ट बाबा के नाम पर इब्राहिमाबाद मे तीन सप्ताह तक चलने वाले पशु मेला में सन्नाटा पसरा है. यह मेला जिला पंचायत द्वारा लगाया जाता है और जिला पंचायत को इस मेले से अच्छे राजस्व की प्राप्ति होती रही है, लेकिन बड़े नोट बन्दी का असर इस मेला पर पड़ा है. न तो बाहर से अपने पशुओं की खेप लेकर व्यापारी आए और न ही बाहरी खरीदार.
पंचकोशी परिक्रमा सह पंचकोश मेला इस माह की उन्नीस तारीख से प्रारंभ हो रहा है. जिसका शुभारंभ शनिवार को अहिरौली से होगा. विश्व विख्यात बक्सर के इस मेले को लोग लिट्टी-चोखा मेला के नाम से जानते हैं. यह मेला अब बक्सर जिले की पहचान बन चुका है. अन्य प्रदेशों और जिलों में बसे लोग इस तिथि को हर दम याद रखते हैं.
बलिया के ऐतिहासिक ददरी मेला के भारतेंदु कला मंच पर शुक्रवार को आयोजित फाइनल में राहुल यादव ने बलिया केसरी का खिताब जीत लिया. उन्होंने पिछले वर्ष के बलिया केसरी रहे अंचल सिंह को परास्त किया है. नगर पालिका परिषद बलिया के तत्वावधान में आयोजित इस दंगल की शुरुआत बैरिया विधायक जयप्रकाश अंचल ने बजरंगबली के चित्र पर माल्यार्पण करने के बाद फीता काटकर किया.
उपायुक्त उद्योग ने जनपद के हस्तशिल्पियों से कहा है कि मेला/प्रदर्शनी में भाग लेने पर यातायात, माल ढुलाई व्यय एवं स्टाल पर किए गए व्यय की प्रतिपूर्ति के रूप में दस हजार तक की धनराशि सहयोग/प्रतिपूर्ति के रूप में प्रति हस्तशिल्पी को प्रदान की जाएगी. उन्होने कहा कि हस्तशिल्पी अपना आवेदन पत्र पहचान पत्र के साथ जिला उद्योग कार्यालय में जमा कर दें.
ददरी मेले में मीना बाजार लगाने को लेकर हंगामा हुआ. मंगलवार को कानपुर और बिहार के दुकानदार परेशान हुए. स्थानीय लोगों की माने तो इतिहास में शायद पहली बार ऐसी घटना हुई है. ददरी मेले में दुकानदारों को जगह नहीं मिली. दबंगों ने दुकानदारों की जमीन पर कब्ज़ा कर लिया. मेले में दुकानदार दिन भर सामान बाहर रखे. ददरी मेले में दुकानदारों को धमकी मिली है.