बकुल्हाः न एक्सप्रेस ट्रेनें रूकीं, न जनता मानी

सुरेमनपुर और मांझी के बीच स्थित बकुल्हा रेलवे स्टेशन के तकदीर को संवारने की चर्चा वर्षों से चल रही है, किंतु इसकी न तो दशा सुधरी और न ही वर्षों पुरानी इस क्षेत्र की जनता की मांग पूरी हो सकी. यहां एक्सप्रेस ट्रेनों के ठहराव की मांग भी विगत डेढ़ दशक से हो रही है.

नेशनल अवार्ड से सम्मानित होगा जेपी प्रौद्योगिकी केंद्र

स्थानीय जेपी ट्रस्ट द्वारा संचालित जयप्रकाश नारायण ग्रामीण प्रौद्योगिकी केंद्र को खादी और ग्रामोद्योग आयोग (सूक्ष्म लघु मध्यम उद्यम मंत्रालय) भारत सरकार के द्वारा वर्ष 2014-15 के वेस्‍ट इंस्‍टीटयूशनल ट्रेनिंग सेंटर ऐट नेशनल लेवल अवार्ड के लिए चयनित किया गया है.

राष्ट्रीय जेपी स्मारक से खुलेंगे रोजगार के भी द्वार

जेपी के गांव सिताबदियारा के लाला टोला में 25 जून 2015 को केंद्र सरकार के द्वारा घोषित जेपी राष्ट्रीय स्मारक से रोजगार के भी द्वार खुलेंगे. देश में वह स्मारक एक अहम स्थान रखेगा. यह बातें जयप्रभा फाउंडेशन के अध्यक्ष और भदोही के भाजपा सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त ने कही. वह सिताबदियारा के लाला टोला में जेपी जयंती के बाद पत्रकारों से विशेष बातचीत कर रहे थे.

अपने गांव-घर में बड़ी शिद्दत से याद किए गए जेपी

आज एक तरफ विजयी दशमी का मेला था, वहीं दूसरी ओर लोकनायक की जयंती. सुबह आठ बजे ही जयप्रकाशनगर की गलियां-जब तक सुरज चांद रहेगा, जेपी तेरा नाम रहेगा, के नारों से गुंज उठी. यहां जेपी ट्रस्‍ट के द्धारा ही संचालित आचार्य नरेंद्र देव बाल विद्या मंदिर के बच्‍चे और शिक्षक शिक्षिकाओं ने प्रभात फेरी निकाल कर जेपी को याद किया.

सिर्फ सियासी फायदे के लिए, याद आते हैं जेपी

आज संपूर्ण क्रांति के प्रणेता लोकनायक जयप्रकाश नारायण की जयंती है. धार्मिक दृष्टिकोण से आज दशहरा भी है. आज ही के दिन राम ने रावण वध किया था. वहीं आज ही दिन 11 अक्‍टूबर को सिताबदियारा की धरती पर एक ऐसे लाल का जन्‍म हुआ, जिसके कारनामों से भारतीय इतिहास आज भी गौरवांतित होता है.

गदकाः शक्ति के दरबार में शौर्य का प्रदर्शन

दलजीत टोला में शेर ए काली क्‍लब के द्धारा आयोजित दुर्गा पूजा में गदका एक विशेष कार्यक्रम है. शाम के समय डंके की गड़गड़ाहट पर एकम के दिन से ही जब बच्‍चों से लेकर बुजुर्ग तक गदका खेलने उतरते हैं तो उनके शौर्य को देखने वालों की भीड़ उमड़ पड़ती है.

जेपी का गांव – थोड़ी धूप थोड़ा छांव

तो, विफलताओं पर तुष्ट हूं अपनी/ और यह विफल जीवन/ शत–शत धन्य होगा/ यदि समानधर्मा प्रिय तरुणों का/ कण्टकाकीर्ण मार्ग/ यह कुछ सुगम बन जावे ! यह पंक्तियां विफलता – शोध की मंजिलें शीर्षक कविता से उद्धृत हैं. उक्त कविता की रचना 9 अगस्त 1975 को चण्डीगढ़-कारावास में लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने की थी. इसमें कोई संशय नहीं कि इस युग पुरुष ने शोध और प्रयोग में ही अपना जीवन गुजार दिया. आज उनकी जयंती है. आइए जानते हैं उन्हीं के शब्दों में उनके गांव के तरुणों का कण्टकाकीर्ण मार्ग किस हद तक सुगम हुआ है. प्रस्तुत है जेपी के गांव से लवकुश सिंह की स्पेशल रिपोर्ट

बुढ़ा चला है जनेऊ तोड़ो आंदोलन का चश्मदीद

आज संपूर्ण क्रांति आंदोलन के प्रणेता लोकनायक जयप्रकाश नारायण की पुण्‍य तिथि है. हम एक दिन पूर्व जेपी के पैतृक गांव सिताबदियारा में थे. आज हम बिहार सीमा के अंदर सिताबदियारा के चैन छपरा में स्थित जेपी के उस क्रांति मैदान में भी पहुंचे, जहां 1974 में ही लगभग 10 हजार लोगों ने जेपी के सांथ मिलकर जनेऊ तोड़ो आंदोलन का शंखनाद किया था.

बारिश ने किया दुर्गोत्सव का मजा किरकिरा

जयप्रकाशनगर (बलिया)। स्थानीय ग्राम के दलजीत टोला में दशहरे की इस वर्ष विशेष तैयारी थी. बड़ा पंडाल, विशाल मेला सब कुछ पूरी तरह तैयार था, सुबह आठ बजे मां का पट खुला, लोग दर्शन …

दुर्गा मंत्रों से गूंज उठा जेपी का गांव

दलजीत टोला में वर्ष 1975 से शुरू दुर्गा पूजा का यह 42 वां वर्ष है. सप्‍तमी के दिन जैसे ही मां का पट खुला क्षेत्र भर के श्रद्धालु दर्शन को उमड़ पड़े. इसी दिन 101 दीप भी देवी दरबार में प्रज्‍जवलित किए गए. शेर ए काली क्‍लब द्धारा आयोजित इस पूजनोत्‍सव में इस बार खास आकर्षण पंडाल रहा.

जयप्रकाशनगर की बिजली नहीं सह पाती हवा और पानी

जयप्रकाशनगर में कभी भी सुचारू रूप से बिजली आपूर्ति नहीं हो पाती. हल्की बारिश हो या तेज हवा का झोंका, यह गायब हो जाती है. मानों यह बिजली हमेशा के लिए बुढापे की दलहीज पर कदम रख चुकी है. सुबह दस बजे से शाम पांच बजे तक व रात में भी इसी समय बिजली सप्लाई का रोस्टर लंबे समय से चल रहा है. इधर, नवरात्रि की शुरुआत से ही बिजली सेवा पूरी तरह धवस्त है. इसके पीछे मुख्य कारण है जर्जर तार.

सब कुछ है, मगर 27 टोले वाला सिताबदियारा नदारद है

जयप्रकाशनगर (बलिया) से लवकुश सिंह आरा, छपरा, बलिया तीन जिलों और यूपी-बिहार दो राज्‍यों में बंटा है लोकनायक जेपी का गांव सिताबदियारा. सिताबदियारे के समाज में 45 साल पहले और आज में काफी बदलाव …

जयप्रकाशनगर में बीएसएनएल का नहीं है कोई माई-बाप

आज रिलायंस समेत ज्यादातर निजी कंपनियां अपनी सेवाओं को बेहतर से बेहतर बनाने में लगी हैं, वहीं जयप्रकाशनगर में बीएसएनएल का मानो कोई माई-बाप ही नहीं है. चाहे वह टेलीफोन सेवा हो, माबाइल या फिर इंटरनेट. सबके हालात एक समान हैं. जेपी ट्रस्‍ट के व्‍यवस्‍थापक अशोक कुमार सिंह ने बताया कि यहां ट्रस्‍ट परिसर में ही बीएसएनएल का एक्‍सचेंज है, किंतु इसकी कोई भी सेवा आज तक बेहतर नहीं बन सकी.