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जेपी के गांव सिताबदियारा के लाला टोला में 25 जून 2015 को केंद्र सरकार के द्वारा घोषित जेपी राष्ट्रीय स्मारक से रोजगार के भी द्वार खुलेंगे. देश में वह स्मारक एक अहम स्थान रखेगा. यह बातें जयप्रभा फाउंडेशन के अध्यक्ष और भदोही के भाजपा सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त ने कही. वह सिताबदियारा के लाला टोला में जेपी जयंती के बाद पत्रकारों से विशेष बातचीत कर रहे थे.
आज एक तरफ विजयी दशमी का मेला था, वहीं दूसरी ओर लोकनायक की जयंती. सुबह आठ बजे ही जयप्रकाशनगर की गलियां-जब तक सुरज चांद रहेगा, जेपी तेरा नाम रहेगा, के नारों से गुंज उठी. यहां जेपी ट्रस्ट के द्धारा ही संचालित आचार्य नरेंद्र देव बाल विद्या मंदिर के बच्चे और शिक्षक शिक्षिकाओं ने प्रभात फेरी निकाल कर जेपी को याद किया.
तो, विफलताओं पर तुष्ट हूं अपनी/ और यह विफल जीवन/ शत–शत धन्य होगा/ यदि समानधर्मा प्रिय तरुणों का/ कण्टकाकीर्ण मार्ग/ यह कुछ सुगम बन जावे ! यह पंक्तियां विफलता – शोध की मंजिलें शीर्षक कविता से उद्धृत हैं. उक्त कविता की रचना 9 अगस्त 1975 को चण्डीगढ़-कारावास में लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने की थी. इसमें कोई संशय नहीं कि इस युग पुरुष ने शोध और प्रयोग में ही अपना जीवन गुजार दिया. आज उनकी जयंती है. आइए जानते हैं उन्हीं के शब्दों में उनके गांव के तरुणों का कण्टकाकीर्ण मार्ग किस हद तक सुगम हुआ है. प्रस्तुत है जेपी के गांव से लवकुश सिंह की स्पेशल रिपोर्ट
आज संपूर्ण क्रांति आंदोलन के प्रणेता लोकनायक जयप्रकाश नारायण की पुण्य तिथि है. हम एक दिन पूर्व जेपी के पैतृक गांव सिताबदियारा में थे. आज हम बिहार सीमा के अंदर सिताबदियारा के चैन छपरा में स्थित जेपी के उस क्रांति मैदान में भी पहुंचे, जहां 1974 में ही लगभग 10 हजार लोगों ने जेपी के सांथ मिलकर जनेऊ तोड़ो आंदोलन का शंखनाद किया था.
जयप्रकाशनगर में कभी भी सुचारू रूप से बिजली आपूर्ति नहीं हो पाती. हल्की बारिश हो या तेज हवा का झोंका, यह गायब हो जाती है. मानों यह बिजली हमेशा के लिए बुढापे की दलहीज पर कदम रख चुकी है. सुबह दस बजे से शाम पांच बजे तक व रात में भी इसी समय बिजली सप्लाई का रोस्टर लंबे समय से चल रहा है. इधर, नवरात्रि की शुरुआत से ही बिजली सेवा पूरी तरह धवस्त है. इसके पीछे मुख्य कारण है जर्जर तार.
आज रिलायंस समेत ज्यादातर निजी कंपनियां अपनी सेवाओं को बेहतर से बेहतर बनाने में लगी हैं, वहीं जयप्रकाशनगर में बीएसएनएल का मानो कोई माई-बाप ही नहीं है. चाहे वह टेलीफोन सेवा हो, माबाइल या फिर इंटरनेट. सबके हालात एक समान हैं. जेपी ट्रस्ट के व्यवस्थापक अशोक कुमार सिंह ने बताया कि यहां ट्रस्ट परिसर में ही बीएसएनएल का एक्सचेंज है, किंतु इसकी कोई भी सेवा आज तक बेहतर नहीं बन सकी.