जयप्रकाशनगर (बलिया) से लवकुश सिंह
दलजीत टोला में वर्ष 1975 से शुरू दुर्गा पूजा का यह 42 वां वर्ष है. सप्तमी के दिन जैसे ही मां का पट खुला क्षेत्र भर के श्रद्धालु दर्शन को उमड़ पड़े. इसी दिन 101 दीप भी देवी दरबार में प्रज्जवलित किए गए. शेर ए काली क्लब द्धारा आयोजित इस पूजनोत्सव में इस बार खास आकर्षण पंडाल रहा.
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इस समिति के अध्यक्ष मंतोष सिंह, कोषाध्यक्ष भूटेली सिंह, बीरबल यादव, पवन सिंह, टुनटुन यादव, उग्रसेन गुप्ता, बुटाई सिंह आदि ने बताया कि यहां देवी आरती व गदका का विशेष का विशेष महत्व होता है. यहां गदका शक्ति का प्रतीक माना जाता है, वहीं आरती में सभी श्रद्धालुओं की देवी के प्रति श्रद्धा व आस्था की विशेष झलक दिखाई देती है. श्रद्धालु और कुछ देखें या न देखें, संध्या प्रहरी उक्त दोनों कार्यक्रमों को देखने के लिए जरूर शामिल होते हैं. यहां शाम 04 बजे से गदका व रात्रि आठ बजे देवी आरती के बाद ही कोई कार्यक्रम आयोजित किया जाता है.
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शक्ति की देवी दुर्गा सच्चाई का प्रतीक हैं. जिस देवी ने महिषासुर, शुम्भ-निशुंभ, चंड-मुंड, रक्तबीज जैसे महाशक्तिशाली दानवों का वध किया. उस देवी को पूजते हुए हमें भी सत्य मार्ग पर चलने का संकल्प लेना चाहिए. अत्याचार के विरूद्ध अपनी आवाज बुलंद करनी चाहिए. यह बातें द्वाबा के दलजीत टोला में देवी की पूजा करे कर रहे आचार्य पंडित ओमप्रकाश चौबे ने कही. वह सप्तमी के दिन दलजीत टोला में देवी पट खुलने के बाद श्रद्धालुओं को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि इसी नवरात्र में दशहरे के दिन रावण जैसे महादानव का वध भगवान राम ने किया था. वह असत्य पर सत्य की विजय थी. आज भी समाज में कतिपय रावण निजी स्वार्थ के लिए समाज को बलि देना चाहते हैं. समाज में विषमता का बीज डाल, अपने को सफल राजनीतिक समझ रहें हैं. ऐसे कलियुगी रावणों को पहचानने की जरूरत है. यह पूजा हमारी आपसी एकता का भी प्रतीक है.
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