मुख्यमंत्री का आदेश भी बेअसर, नहीं मिली ठौर, विधायक की बात भी नहीं सुनते अधिकारी, बाढ़ और कटान पीड़ितों में आश्रय ढूंढने की होड़, कटानरोधी कार्यों में भ्रष्टाचार का बोलबाला – विनोद सिंह
अब गंगा मैया पर ही भरोसा बचा है. बैरिया विधानसभा क्षेत्र के गंगा तटवर्ती गांव की डेढ़ लाख आबादी सहमी हुई है. बाढ़ कटान से सुरक्षा के लिए गंगा की धारा को मोड़ने के लिए चल रहे ड्रेसिंग कार्य और पारकोपाइन पद्धति से हो रहे कार्य पर प्रभावित ग्राम वासियों को उतना भरोसा नहीं, जितने दंभ भरा जा रहा है.
पहले ही बारिश से घाघरा नदी का तांडव शुरू हो गया है. रिगवन गाँव के पूरब छावनी के पास खेतों के कटान के साथ पेड़ भी धराशायी होकर घाघरा नदी में समाहित होते दिख रहे हैं.
चैनछपरा घाट पर नींद में सोए जनप्रतिनिधियों एवं जिला प्रशासन को जगाने के लिए ग्रामवासियों के साथ खुद ही कटान रोधी कार्य का समाजसेवी और पूर्व प्रधान विनोद कुमार चौबे ने शुभारम्भ किया.
सदर कोतवाली क्षेत्र में कीनाराम घाट पर एक युवक की गंगा में डूबने से मौत हो गई. उधर, इसी तरह का दूसरा हादसा बैरिया थाना क्षेत्र में हुआ. दो युवकों के डूबने की खबर से परिजनों में कोहराम मच गया.
बाढ़ की विभीषिका के बीच गंगा की लहरों ने अपनी गोद में जिन-जिन चीजों को समेट लिया, क्या बाद में किसी ने उन्हें देखा या दोबारा उन चीजों को हासिल किया? इसका जवाब तो हां में कत्तई नहीं होगा.
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