बैरिया (बलिया) से वीरेंद्र नाथ मिश्र सरयू नदी के तटवर्ती इलाके में माझी जयप्रभा सेतु से सठिया ढाला तक तथा उसके आगे नई बस्ती तक हो रही कटान से तटवर्ती लोगों की चिंता बढ़ …
दियारा क्षेत्र के रिगवन छावनी, नवकागाँव, बिजलीपुर, कोटवा, मल्लाहि चक, चक्की दियर, टिकुलिया, पर्वतपुर, रघुबर नगर आदि गाँवों के किसानों के लगभग हजारों एकड़ खेत घाघरा में समाहित
बिल्थरारोड के चैनपुर गुलौरा, तुर्तीपार, हल्दीरामपुर आदि क्षेत्रों में तेजी से कटान हो रही है. कृषि भूमि कट-कट कर नदी की जलधारा में विलीन हो रही है. चैनपुर गुलौरा में टीएस बंधे तक बाढ़ का पानी पहुंच गया है.
अब गंगा मैया पर ही भरोसा बचा है. बैरिया विधानसभा क्षेत्र के गंगा तटवर्ती गांव की डेढ़ लाख आबादी सहमी हुई है. बाढ़ कटान से सुरक्षा के लिए गंगा की धारा को मोड़ने के लिए चल रहे ड्रेसिंग कार्य और पारकोपाइन पद्धति से हो रहे कार्य पर प्रभावित ग्राम वासियों को उतना भरोसा नहीं, जितने दंभ भरा जा रहा है.
एक तरफ कोरोना महामारी की त्रासदी तो दूसरी तरफ घाघरा नदी के उग्र रूप से लोगों में मायूसी छाने लगी है. बता दें कि मनियर इलाके में घाघरा नदी ने अपना रूप दिखाना शुरू कर दिया है. तीन दिन पहले से नदी में जलस्तर बढ़ने के साथ – साथ कटान भी शुरू हो गया है.
पहले ही बारिश से घाघरा नदी का तांडव शुरू हो गया है. रिगवन गाँव के पूरब छावनी के पास खेतों के कटान के साथ पेड़ भी धराशायी होकर घाघरा नदी में समाहित होते दिख रहे हैं.
बाढ़ की विभीषिका के बीच गंगा की लहरों ने अपनी गोद में जिन-जिन चीजों को समेट लिया, क्या बाद में किसी ने उन्हें देखा या दोबारा उन चीजों को हासिल किया? इसका जवाब तो हां में कत्तई नहीं होगा.