घाघरा के तल्ख तेवर देखर प्रशासन एलर्ट मोड में, किसानों की नींद हराम

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बांसडीह से रविशंकर पांडेय

एक तरफ कोरोना महामारी की त्रासदी तो दूसरी तरफ घाघरा नदी के उग्र रूप से लोगों में मायूसी छाने लगी है. बता दें कि मनियर इलाके में घाघरा नदी ने अपना रूप दिखाना शुरू कर दिया है. तीन दिन पहले से नदी में जलस्तर बढ़ने के साथ – साथ कटान भी शुरू हो गया है. जिसकी जद में आने से किसानों का उपजाऊ खेत 40 बीघा घाघरा नदी ने निगल लिया है. वहीं कटान अनवरत जारी है. जिसका भय अब किसानों को सताने लगा है.

हालाँकि कटान की सूचना मिलते ही बाँसडीह तहसील प्रशासन तटीय इलाका का जायजा लेने पहुँच गया. उपजिलाधिकारी ने बताया कि घाघरा नदी के जलस्तर वृद्धि से कटान की सूचना मिली तो मौके पर जायजा लिया जा रहा है. हम सभी अलर्ट हैं ताकि कोई अन्य नुकसान न हो सके, जो भी सरकार द्वारा निर्देश होगा. त्वरित पालन किया जाएगा.

रिगवन छावनी, नवकागांव, ककरघट्टा खास, गोड़वली माफी के तटीय इलाका में घाघरा नदी का जलस्तर बढ़ाव पर है, जिसको देखते हुए बाढ़ विभाग के अधिकारियों से बात कर तत्काल, कटानरोधी राहत कार्य शुरू करने का निर्देश दिया गया है.

दुष्यंत कुमार, उपजिलाधिकारी, बांसडीह

इस दौरान उपजिलाधिकारी के साथ सीओ दीपचंद्र, मनियर थानाध्यक्ष नागेश उपाध्याय, एसआई प्रभाकर शुक्ला, कांस्टेबल रामदुलारे, पंकज सिंह, लेखपाल संजय कुमार, समाज सेवी लड्डू पाठक सहित ग्रामीण मौजूद रहे.

पानी के बढ़ते दबाव से घाघरा नदी ने तरेरी आंखें

लगातार हो रही बारिश से घाघरा नदी के जलस्तर में वृद्धि होने लगी है. इस कारण नदी में पानी का बहाव भी तीव्रतर होने लगा है, जिससे तटवर्ती इलाकों में कटान का खौफ एकबार फिर मंडराने लगा है. क्षेत्र के रिगवन छावनी, ककरघट्टा खास, नवका गांव आदि तटवर्ती गांव की उपजाऊ जमीन को हमेशा की तरह इस बार भी धीरे-धीरे नदी काटकर अपने आगोश मे ले रही है. जिससे इलाके के लोग परेशान हैं.

नदी का रौद्र रूप देखकर किसानों के माथे की चिंता की लकीरें बढ़ गई है. विवशता तो ये है कि उन्हें अपनी जमीन को बचाने का कोई उपाय नहीं सूझ रहा. सुरसा की तरह आए दिन नदी कई बीघा उपजाऊ जमीन को अपने आगोश में ले रही है. पेड़ भी नदी में समाहित हो रहे हैं. जिससे दियारे के लोग भय में है. इनका कहना है कि अभी यह हालत है तो नदी का रौद्र रूप सामने आने पर क्या होगा?

बताते चलें कि पूर्व जिला अधिकारी बलिया भवानी सिंह खंगारौत के प्रयास से एलासगढ़ से लगायत ककरघट्टा तक कटानरोधी कार्य कराया गया था. इससे तटवर्ती इलाके के बस्तियों के बचाव की काफी उम्मीद जगी थी, लेकिन पुनः नदी से कटान होने से क्षेत्र के लोग भयभीत है. विगत 19 जून 2020 को जिलाधिकारी बलिया श्रीहरि प्रताप शाही ने टी एस बंधे की तिलापुर से मनियर तक बारीकी से निरीक्षण किया था. बाढ़ विभाग के अभियंताओं को निर्देश भी दिया था कि बैकरोलिंग के चलते कटान न होने पाए.

कटान रोधी कार्यों व बाढ़ राहत व्यवस्था समय से किए जाने का उन्होंने अधिकारियों को निर्देशित भी किया था. नाराजगी भी जाहिर की थी कि बचाव कार्य कब किया जाएगा, जब बाढ़ आ जाएगी तब. घाघरा नदी की कटान से प्रभावित 56 गांव की 85,000 आबादी प्रभावित होती है. उन्होंने कटान रोधी कार्यों व बाढ़ राहत व्यवस्था न किये जाने पर बाढ़ विभाग के एक्सईएन संजय मिश्र पर भी नाराजगी जाहिर की थी.

जयप्रकाश पाठक, त्रिलोकी पांडेय, श्री राम पांडेय, लडू पाठक, शमशेर पांडेय, सत्यनारायण, मोहन पांडेय, पति राम यादव, सतदेव आदि किसानों की जमीन नदी में विलीन हो रही है. इनकी मानें तो तीन दिन की लगातार बारिश में लगभग पचास बीघा जमीन नदी में समाहित हो चुकी है.