सुरहताल के किनारे स्थित है बाबा अवनीनाथ महादेव का प्राचीन मंदिर

श्रावण मास की प्रथम सोमवारी पर विशेष

 

बांसडीह, बलिया. जिला मुख्यालय से लगभग 15 किमी दूर स्थित अवनिनाथ महादेव मंदिर की विशेष महत्ता है. वैसे तो सावन मास के शुरू होते ही कावंरियों का जत्था बाबा धाम के लिए निकल जाता है. राज्य के मुख्यमंत्री ने भी कांवरियों के प्रति व्यवस्था देने का आदेश किया था. वहीं बलिया जिले में तमाम शिव मंदिर है. लेकिन अवनिनाथ मंदिर की अलग महत्ता है. हिंदू धर्म आस्था का प्रतीक माना जाता है.

पूर्वांचल के सब जिलों में मंदिर जरूर हैं, लेकिन बलिया – बांसडीह मार्ग स्थित बड़सरी गांव से करीब एक किमी पश्चिम सुरहताल के किनारे बाबा अवनीनाथ महादेव मंदिर प्राचीन काल से स्थापित है. जहां पहुंचने पर पर्यावरण से सुसज्जित स्थल पर एक अलग अनुभूति तो होती है. बुजुर्गों के अनुसार उक्त मंदिर की ऐसी महत्ता है कि जो अवनीनाथ महादेव मंदिर में जाकर अपनी विनती सुनाता है उसकी मन्नत पूर्ण हो जाती है.

This Post is Sponsored By Memsaab & Zindagi LIVE         

 

बताया यह भी जाता है कि राज सूरथ के द्वारा अवनी नाथ मंदिर का स्थापना हुई थी. जब राजा सूरथ अपना सारे राज पाट को हारकर एवं कुष्ठरोग से प्रभावित होते हुए इस स्थल पर आकर जंगल में चुपके से रहते थे. उन दिनों सुरहताल का नामों निशान तक नहीं था. अचानक राजा सूरथ को शौच जाने की मन में आई. परंतु पानी की उपलब्धता न होने के चलते वो मजबूर हो गए. तब किसी कुम्हार ( प्रजापति ) के माध्यम से जमीन में खुदाई करवाई गई।खुदाई होते ही पानी का भंडारण मिला. ऐसे में राजा सुरथ ने अपना हाथ धोया. मिट्टी तथा पानी के प्रभाव से उनका हाथ स्वच्छ ,सुंदर हो गया.

 

राजा सूरथ के नाम पर ही सुरहताल का नाम पड़ा

राजा सूरथ ने जब पानी का भंडारण पाया तो वहीं रुककर चौदह किमी में स्थानीय लोगों के प्रयास से सुरहताल की खुदाई कर सुरहताल को स्थापित किया. जो राजा सूरथ के नाम पर ही उक्त सुरहताल का नाम पड़ा. उसके बाद राजा सुरथ ने सुरहताल के किनारे बसे गांवों में पाँच मंदिरों का निर्माण कराया. जिसमें तीन शिवमन्दिर व तथा दो माँ भगवती का मंदिर बना. इसमें बाबा अवनिनाथ महादेव मंदिर, (बड़सरी)बाबा बालखंडी नाथ महादेव मंदिर( दीउली बाँसडीहरोड)तथा शोकहरण नाथ महादेव मंदिर (असेगा बेरुआरबारी) व मां ब्रह्माणी मंदिर भगवती मंदिर( ब्रह्माइन हनुमानगंज) शंकरपुर स्थित शांकरी भगवती मंदिर का निर्माण कराया. जिसका वर्णन दुर्गा सप्तशती में भी किया गया है. बाद में ग्रामीणों के सहयोग कर मंदिर का भव्य निर्माण हुआ. इन देवालयों में हर मनोकामना पूरी होती है. यहां प्रत्येक दिन श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. श्रावण मास, महाशिवरात्रि के दिन विशेष रूप से तैयारी की जाती है. यही वजह है कि अवनिनाथ महादेव मंदिर अपने आप में प्रसिद्ध है.

(बांसडीह संवाददाता रवि शंकर पांडे की रिपोर्ट)

This Post is Sponsored By Memsaab & Zindagi LIVE