भृगु क्षेत्र में गंगा स्नान के बाद दर्शन पूजन हजारों ने किया

तीसरा स्थान गुजरात प्रान्त का भड़ौच (भरुच) जिसे भृगु कच्छ कहा जाता है . इसे भृगु पुत्र च्यवन ने अपने श्वसुर राजा शर्याति की मृत्यु के बाद आबाद किया था.

क्यों चढ़ाते हैं भोले नाथ को बेल पत्र

भगवान शंकर के शिवलिंग पर चढाये जाने वाली बस्तुओं में बेल और बेल पत्र जहां एक ओर परिस्थितिवश औषधि है, वहीं दूसरी ओर इसी पत्ती का एक आध्यात्मिक पक्ष भी है. विकास राय के शब्दों में जानिए क्या है इसकी खासियत

संस्कृत, संस्कृति व संस्कार का हो रहा लोप

मुहम्मदाबाद तहसील क्षेत्र के लौवाडीह ग्राम में कथा व्यास आचार्य श्री हरि प्रकाश जी महाराज के द्वारा अति प्राचीन स्थान श्री राधा माधव धाम आश्रम तथा हरि ओम सेवा संस्थान के केन्द्रीय परिसर में आयोजित कार्यक्रम का शुभारम्भ भगवान शिव के रूद्राभिषेक द्वारा किया गया.

मंदिर ही नहीं, मेला भी मशहूर है ब्रह्मपुर का

बाबा भोले भंडारी की नगरी ब्रह्मपुर की एक अलग ही विशिष्टता है.. यहां पर हरेक जगह से लोग आते है और बाबा की पूजा अर्चना करते है. महाशिव रात्रि के समय का नज़ारा अद्भुत होता है. ये मंदिर बक्सर, आरा, बलिया, छपरा और सासाराम मे बहुत ज़्यादा प्रसिद्ध है. वैसे तो बिहार और उत्तर प्रदेश के कोने कोने से श्रद्धालु यहां पर दर्शन करने आते हैं.

सोमवार और शिवरात्रि के संयोग पर उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़

सावन माह के दूसरा सोमवार और संयोगवश शिवरात्रि भी. शिव मंदिरों में दर्शन पूजन के लिए विशेष कर महिलाओं की भीड़ उमड़ पड़ी. मंदिरों में महिलाओं को भी अपनी बारी का इंतजार करने के लिए लाइन में घंटों खड़े रहना पड़ा. नंगे पैर महिलाएं डोलची में पूजन सामग्री बिल्वपत्र, चंदन, रोरी अगरबत्ती, माचिस, भांग, गंगाजल, फूल, अक्षत के साथ मंदिर पहुंचते भगवान शिव का हर महादेव के साथ जलाभिषेक किया.