असहयोग आंदोलन के ‘सप्तर्षियों’ में एक पं. रामदहिन ओझा को नमन

मात्र 30 वर्ष का सम्पूर्ण जीवन. इनके बहुआयामी पक्ष कवि, पत्रकार, स्वतंत्रता सेनानी, देश को समर्पित- संक्षेप में यही परिचय है पंडित रामदहिन ओझा का.

गड़वार के युवा कवि अदनान कफील दरवेश को ‘भारत भूषण अग्रवाल’ पुरस्कार

अदनान की यह कविता माँ की दिनचर्या के आत्मीय, सहज चित्र के जरिेए “माँ और उसके जैसी तमाम औरतों” के जीवन-वास्तव को रेखांकित करती है. अपने रोजमर्रा के वास्तविक जीवन अनुभव के आधार पर गढ़े गये इस शब्द-चित्र में अदनान आस्था और उसके तंत्र यानि संगठित धर्म के बीच के संबंध की विडंबना को रेखांकित करते हैं.

महत्वपूर्ण रचनाओं का पाठ कर याद किए गए केदारनाथ सिंह

 मूर्धन्य हिंदी साहित्यकार केदारनाथ सिंह जी का जाना सिर्फ हिन्दी साहित्य की नहीं, बल्कि दुनिया की सैकड़ों भाषाओं पर वज्रपात गिरने जैसा है. अपने समय के श्रेष्ठ कवि केदार नाथ सिंह के निधन से पूरा साहित्य जगत सकते में है

फेसबुक के कोठार से – केदार जी स्मृतियों में गूंजते रहेंगे – अपनी कविताओं की तरह

केदारजी ने मेरे पिताजी की डायरी ‘जग दर्शन का मेला’ की भूमिका लिखी थी. किताब विश्व पुस्तक मेले में जारी हुई. तब केदारजी कोलकाता में अस्पताल में थे. दिल्ली आकर फिर एम्स.

केदारनाथ सिंह नहीं रहे, घड़ी भर को मानो हिंदी ने साँस रोक ली

हिंदी कविता में नए बिंबों के प्रयोग के लिए जाने जाने वाले वरिष्ठ शब्द शिल्पी केदरानाथ सिंह का सोमवार को दिल्ली में निधन हो गया. वह पिछले कुछ समय से अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (एम्स) में भर्ती थे.