बांसडीह /बलिया से रविशंकर पांडेय
सरयू (घाघरा) नदी अब खतरा बिंदु को छूने पर उतारू हो गई है. लगातार जलस्तर में वृद्धि के कारण लोगों में दहशत है. सोमवार को शाम चार बजे डीएसपी हेड पर 65.090 जलस्तर का मापन हुआ, जब कि उच्चत्तम खतरा बिंदु 66.00 है.
“कोई नहीं आया साहब, अब हम लोग डूब जाएंगे”
सरयू नदी के लगातार जलस्तर की वृद्धि से शुरू में तहसील प्रशासन जरूर हरकत में आया. वहीं जिले के प्रभारी मंत्री अनिल राजभर सहित संसदीय राज्य मंत्री व ग्राम विकास विभाग के मंत्री आनन्द स्वरूप शुक्ल ने भी न केवल इलाके का भ्रमण किया, बल्कि जनपद के अधिकारियों को आगाह भी किया. कहा था कि 15 अगस्त से जलस्तर में वृद्धि होगी. तैयारी पूरी कर ली जाए, लेकिन इलाकाई लोगों का कहना है कि साहब अब हम लोग डूब जाएंगे. हजारों एकड़ उपजाऊ जमीन नदी में विलीन हो गई. प्रशासनिक अमला भी अब दूरी बना लिया है.
दियारा क्षेत्र के रिगवन छावनी, नवकागाँव, बिजलीपुर, कोटवा, मल्लाहि चक, चक्की दियर, टिकुलिया आदि गांवों के किसानों के लगभग हजारों एकड़ खेत घाघरा में समाहित हो चुके हैं. तटवर्ती गांव की उपजाऊ जमीन को हमेशा की तरह इस बार भी धीरे-धीरे नदी काटकर अपने आगोश मे ले रही है. इसके चलते इलाके के लोग परेशान हैं.
नदी का रौद्र रूप देखकर किसानों के माथे की चिंता की लकीरें हैं. विवशता तो ये है कि उन्हें अपनी जमीन को बचाने का कोई उपाय नहीं सूझ रहा. सुरसा की तरह आए दिन नदी कई बीघा उपजाऊ जमीन को अपने आगोश में ले रही है घाघरा. पेड़ भी नदी में समाहित हो रहे हैं.
मक्के की फसल पूरी तरह से नष्ट और धान डूब कर बर्बाद
सरयू के जलस्तर में बढ़ोतरी होने लगी है, जिससे देवपुर रेगुलेटर के फाटक के झरोखे से होकर निकलता पानी दक्षिणी क्षेत्र की उपजाऊ भूमि की ओर फैल गया है. किसानों ने बताया कि मक्के की फसल नष्ट हो गई है और धान भी पूरी तरह डूब कर बर्बाद हो गया है. छेड़ी 1800 बीघे का मौजा है, जो पूरा डूबा है. इसी तरह चौबे छपरा 600 बीघे के मौजे में करीब 500 बीघा डूबा पड़ा है, विशुनपुरा 1500 बीघा का कुल मौजा है, जिसमें करीब 1000 बीघा से अधकि की फसलें डूबी हुई है. उधर, खदरा मौजा के 300 बीघा में से 250 बीघा, कामता मौजा का करीब 100 बीघा, मून छपरा का करीब 400 बीघा तथा मानसिंह छपरा के 350 बीघा खेत की फसलें जलभराव से बर्बादी के कगार पर हैं. इसके अलावा कंचनपुर, बेलहरी, नवाबारा आदि मौजे के भी 100 बीघे से अधिक की फसल जलमग्न हैं. हालात विकट होने की वजह यह भी है कि रेवती क्षेत्र में बरसात का जो पानी विभिन्न ड्रेनों तथा नालों से होकर सरयू में गिर जाया करता था, वह उल्टी धारा में परिवर्तित होकर क्षेत्र के विभिन्न मौजे के खेतों में रुकने लगा है.