भगवान चतुर्भुज पोखरे के पानी ने राजा सुरथ हुए थे कुष्ट से मुक्त

  • तीन सौ साल से भी पुराना है भगवान चतुर्भुजनाथ मंदिर का इतिहास

 

सिकंदरपुर से विनोद कुमार

नगर के डोमनपुरा में स्थित ऐतिहासिक चतुर्भुजनाथ मंदिर का इतिहास सैकड़ों वर्ष पुराना है. यहां के पुजारी महंत महेन्द्रदास की मानें तो यहां एक अद्भुत चमत्कार हुआ था.शिवरात्रि के दिन यहां पर नगर सहित आसपास के क्षेत्र में हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है. यहां सबकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

चतुर्भुज नाथ मंदिर का इतिहास लगभग 300 साल पुराना माना जाता है. यह राजा सुरथ से जुड़ा हुआ बताते हैं. लोगों का कहना है कि राजा सुरथ एक बार कुष्ठ रोग से ग्रसित हो गए थे. उस दौरान सिकंदरपुर से होकर कहीं जा रहे थे.

शौच करने के बाद राजा ने अपने नौकर से पानी मंगवाया. नौकर के पानी लाकर देने के बाद राजा ने पानी को जैसे ही अपने अंग पर स्पर्श किया तो उनका कुष्ठ रोग ठीक हो गया. इस बात से राजा को बहुत आश्चर्य हुआ.

 

 

राजा ने नौकर से कहा कि जहां से पानी लाये हो वह जगह मुझे दिखाओ. राजा ने तुरंत जाकर उस पानी से अपने शरीर के सभी अंगों को स्पर्श किया. इस तरह उसका सारा कुष्ठ रोग दूर हो गया. ऐसा चमत्कार देखकर राजा ने सर्वजन कल्याण के लिए इसे पोखरा बनाने का आदेश दिया.

कहा जाता है कि दिन-रात सैकड़ों मजदूर इस काम में लगाए गए. उसी बीच एक बार एक मजदूर का फावड़ा किसी वस्तु से टकरा गया. उससे टन- टन की आवाज आई. खुदाई करने पर वहां भगवान चतुर्भुज नाथ की सोने की मूर्ति निकली.

उस मूर्ति को किसी तरह निकाल कर पोखरा निर्माण पूरा होने के बाद एक मंदिर बनाया गया. इस मंदिर में आज हर्षोल्लास के साथ पूजा की जाती है. भगवान चतुर्भुज का पुखरा एक आस्था का केंद्र बन गया है.

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