बलिया: विश्व रेड क्रास दिवस पर 85 जरूरत मंद महिलाओं को बांटे किचन सेट

This item is sponsored by Maa Gayatri Enterprises, Bairia : 99350 81969, 9918514777

यहां विज्ञापन देने के लिए फॉर्म भर कर SUBMIT करें. हम आप से संपर्क कर लेंगे.

बलिया. रविवार को इंडियन रेड क्रास उत्तर प्रदेश की पदेन प्रमुख अध्यक्ष व राज्यपाल माननीया आनंदीबेन पटेल द्वारा 11 बजे रेडक्रास भवन लखनऊ में प्रतिभाग किया.

उक्त कार्यक्रम का लाईव स्ट्रीमिंग सभी जनपदों में N.i.c के माध्यम से जूम मीटिंग द्वारा किया गया, जिसमें सभी जनपदों के जिलाधिकारी, मुख्य चिकित्साधिकारी तथा रेड क्रास के जनपद इकाई के पदाधिकारीगण इस कार्यक्रम को लाईव स्ट्रीमिंग देखा.

उक्त कार्यक्रम के बाद कम्पोजिट तहसीली स्कूल बेसिक कार्यालय बलिया में सी एम ओ डॉ. नीरज पांडेय एवं एसीएमओ डॉ आनंद के द्वारा 85 जरुरतमंद महिलाओं को किचन सेट दिया गया.

डॉ निरज ने अपने संबोधन में विश्व रेड क्रॉस दिवस (World Red Cross Day) हर साल 8 मई को मनाया जाता है. इसका उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय रेड क्रॉस और रेड क्रिसेंट आंदोलन (red crescent movement) के सिद्धांतों को याद करने के लिए मनाया जाता है. वर्ल्ड रेड क्रॉस डे का मुख्य उद्देश्य असहाय और घायल सैनिकों और नागरिकों की रक्षा करना है. ये दिवस 8 मई को हेनरी डुनेंट (Henry Dunant) की जयंती पर मनाया जाता है, जो रेड क्रॉस की अंतर्राष्ट्रीय समिति के संस्थापक थे. इस दिन लोग इस मानवतावादी संगंठन और उसकी ओर से मानवता की सहायता के लिए अभूतपूर्व योगदान के लिए श्रद्धांजलि देने के लिए याद करते हैं.

रेड क्रॉस एक इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन है. इसका हेडक्वाटर स्विटजरलैंड के जिनेवा में स्थित है. इंटरनेशनल कमेटी ऑफ रेड क्रास और कई नेशनल सोसाइटी मिलकर इस संस्था का संचालन करती है. पिछले कुछ दो सालों से जारी कोविड-19 महामारी (Corona Pandemic) में रेड क्रॉस आंदोलन की अहमियत और भी अधिक प्रासंगिक हो गई है.

वर्ल्ड रेड क्रॉस डे का महत्व वैसे तो वर्ल्ड रेड क्रॉस सोसाइटी का काम हमेशा जारी रहता है. किसी भी बीमारी या युद्ध संकट में इनके वॉलेंटियर्स लोगों की सेवा में तत्पर रहते हैं. लेकिन कोरोना महामारी के काल में इनका काम और बढ़ गया. कोविड को हराने के लिए रेड क्रॉस युद्धस्तर पर काम कर रही है. इस संस्था से जुड़े लोग कोरोना से बचाव हेतु दुनियाभर में जरूरतमंद लोगों की सेवा कर रहे हैं. साथ ही लोगों को मास्क, दस्ताने और सैनिटाइजर बांट रहे हैं.

वर्ल्ड रेड क्रॉस डे का इतिहास
रेड क्रॉस सोसाइटी की अहमियत उसके इतिहास में छिपी है. स्विटजरलैंड के कारोबारी जीन हेनरी ड्यूनेंट 1859 में इटली में सॉल्फेरिनो का युद्ध देखा. जिसमें में बड़ी तादात में सैनिक मरे और घायल हुए थे. किसी भी सेना के पास घायल सैनिकों की देखभाल के लिए क्लिनिकल सेटिंग नहीं थी. ड्यूनेंट ने वॉलेंटियर्स का एक ग्रुप बनाया जिसने युद्ध में घायल जवानों तक खाना और पानी पहुंचाया. इतना ही नहीं इस ग्रुप ने उनका इलाज कर उनके परिजनों को चिट्ठियां भी लिखीं.

इस घटना के 3 साल बाद हेनरी ने अपने अनुभव को एक किताब ‘ए मेमोरी ऑफ सॉल्‍फेरिनो’ की शक्‍ल देकर प्रकाशित कराया. पुस्तक में उन्होंने एक स्थायी अंतरराष्ट्रीय सोसायटी की स्थापना का सुझाव दिया. ऐसी सोसायटी जो युद्ध में घायल लोगों का इलाज कर सके. जो किसी भी देश की नागरिकता के आधार पर नहीं बल्कि मानवीय आधार पर लोगों के लिए काम करे. उनके इस सुझाव पर अगले ही साल अमल किया गया.

16 देशों ने अपनाया
जिनेवा पब्लिक वेल्फेयर सोसायटी ने फरवरी 1863 में एक कमेटी का गठन किया. जिसकी अनुशंसा पर अक्टूबर 1863 में एक विश्व सम्मेलन किया गया. इसमें 16 राष्ट्रों के प्रतिनिधि शामिल हुए, जिसमें कई प्रस्तावों और सिद्धांतों को अपनाया गया. इसके बाद 1876 में कमेटी ने इंटरनेशनल कमेटी ऑफ द रेड क्रास (ICRC) नाम अपनाया.अंत में रेड क्रास के संरक्षक सदस्य जितेंद्र सिंह द्वारा सभी आगंतुकों का आभार व्यक्त किया गया.

इस अवसर पर जिला समन्वयक शैलेन्द्र कुमार पाण्डेय,उप- सभापति विजय कुमार शर्मा, डॉ पंकज ओझा, डॉ अमित कुमार, शशीकांत ओझा, निर्मला सिंह, सुनीता तिवारी, सरदार सुरेन्द्र सिंह खालसा आदि उपस्थित रहे.

(बलिया से केके पाठक की रिपोर्ट)