नाचत बैल बजावत डमरू, शिव सती खेले फागु आहो लाला… खेलि लेहु रंग बनाय

लुप्त हो रही गंवई लोक परंपराओं को संरक्षित करने में ढिबरी फाउन्डेशन की पहल

बैरिया (बलिया)। विलुप्त हो रही गंवईं संस्कृतियों को सुरक्षित व संरक्षित करने में जुटी संस्था “ढ़िबरी फाउन्डेशन” ने बैरिया में होली गीत गायन का आयोजन कराया. आनुनिक वाद्य यन्त्रों व अश्लील फूहड़ बोलों से अलग गांवों से आए बाबा, चाचा सरीखे लोगों ने ढोलक, छाल के स्वरों की गूंज में ‘नाचतनाचत बैल बजावत डमरू, शिवसती खेले फाग आहो लाला’ का अलाप लिया तो स्वतः सुनने वालों के पांव आयोजन स्थल की ओर खिंचे चले आए.

This item is sponsored by Maa Gayatri Enterprises, Bairia : 99350 81969, 9918514777

यहां विज्ञापन देने के लिए फॉर्म भर कर SUBMIT करें. हम आप से संपर्क कर लेंगे.

गंऊझी फगुआ की शुरूआत ढिबरी जलाकर व गायकों को अबीर-गुलाल लगाकर किया गया. सदियों पुरानी विलुप्त हो रही इस सांस्कृतिक कार्यक्रम में टेंगरही, गड़ेरिया, बैरिया, मिश्र के मठिया, टोला फकरुराय, करनछपरा, इब्राहिमाबाद के फगुआ गायकों की टीम ने ढोलक,झाल के गूंज के बीच फगुआ की पारंपरिक गीतों को प्रस्तुत किया.


गऊझी फगुआ के शुभारम्भ में गड़ेरिया के ब्यास की टीम ने अपने गायन “शिवचरन के सरोज आहो लला” व “नाचत बैल बजावत डमरू, शिवसती खेले फाग आहो लाला”प्रस्तुत किया. इसके बाद बैरिया व अन्य गायकों के टीम ने फगुआ गीत प्रस्तुत किया तो पुरानी परम्परागत फगुआ गीतों के सुनने के लिए हजारों लोगों की भीड़ उपस्थित रही. उक्त मौके पर ढिबरी फाउंडेशन के अध्यक्ष अमित मिश्र, सचिव अंजनी उपाध्याय, कोषाध्यक्ष पिंकू सिंह, राघवेश सिंह, सुरेन्द्र सिंह, संस्कार सिंह आदि उपस्थित रहे. संचालन प्रो सुबाष चन्द्र सिंह ने किया.