आरती रोते-रोते बेहोश हो जा रही और बच्चे एक टक मां को निहार रहे

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सिकंदरपुर (बलिया)। वहां वह क्षण कितना मार्मिक और हतप्रभ करने वाला होता है, जब किसी खुशी के मौके पर मांगलिक गीत अचानक शोक गीत में बदल जाए. शादी का उल्लास करुण क्रंदन में परिवर्तित हो जाए. नियती के क्रूर कदमों ने ऐसा ही दृश्य क्षेत्र के डूंहा गांव में शनिवार को अरविंद प्रजापति के परिवार में उस समय उत्पन्न कर दिया जब उनके पुत्र की शादी हेतु बारात निकलने की तैयारी चल रही थी. उसी समय शादी में शिरकत करने आए उनके दामाद दिवाकर की नहाते समय घाघरा नदी में डूबने से मौत हो गई.

दिवाकर की मौत की खबर आते ही परिवार में खुशी और हंसी का वातावरण रुदन हुआ विलाप में परिवर्तित हो गया. परिवार के साथ ही शादी में शिरकत करने आई रिश्तेदार महिलाएं दहाड़े मार कर रोने लगीं. वे उस समय को कोस रही थी, जब दिवाकर नदी नहाने गया था. आवास पर मौजूद अपना हो या पराया हर व्यक्ति रो रहा था. लोगों के चेहरे पर जैसे अश्क की बरसात हो रही थी. दिवाकर की मौत ने दोनों परिवारों को हमेशा के लिए ऐसा दर्द दे दिया है, जिसे कुछ समय तक झेल पाना उनके बस की बात नहीं है.

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दिवाकर की पत्नी अमृता की रोते-रोते बुरा हाल था. वह रह रह कर बेहोश हो जाती थी. उसके दोनों अबोध बच्चे मां सहित सभी के चेहरे निहार रहे थे. उन्हें क्या पता था कि परिवार में क्या हुआ है. सर्वाधिक दुखद तो यह कि जिस समय दिवाकर अन्य लोगों के साथ नदी नहाने गया उसी समय दिवाकर की पत्नी परंपरा अनुसार कोहरत का भात बना रही थी. उसे भी क्या पता था कि उसके साथ प्रकृति  क्रूर मजाक करेगा. जब उसका बनाया भात भाई नहीं खा पाएगा. वहीं दूल्हा बना दिवाकर का साला उन कपड़ों को एक टक निहार रहा था, जो उसके बहनोई को पहना दूल्हा बना ले जाना था.