प्रेमचंद की नायिका अमूमन सामाजिक सवालों से टकराती है

बलिया लाइव ब्यूरो

बलिया। मुंशी प्रेमचंद के साहित्य में स्त्री त्याग, क्षमा, दया और शील की प्रतिमूर्ति देखने को मिलती है. स्त्रियों के कुछ आदर्श को प्रेमचंद ने अपने साहित्य में स्थापित किया. जनपद के वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. जनार्दन राय ने रविवार को प्रेमचंद साहित्य में स्त्री विषय पर गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए उक्त विचार व्यक्त किया.

प्रेमचंद ने दलितों और स्त्रियों की आवाज को बुलंद किया – डॉ. जनार्दन राय

इसका आयोजन साहित्यिक सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्था संकल्पना ने प्रेमचंद जयंती के अवसर पर किया था. सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन अमृतपाली स्थित अमृत पब्लिक स्कूल में किया गया. गोष्ठी में डॉ. जनार्दन राय ने कहा कि प्रेमचंद ने अपने साहित्य में दलित, किसानों, मजदूरों के अलावा स्त्रियों की आवाज को बुलंद किया.

प्रेमचंद साहित्य में संघर्ष करती है स्त्री – रामजी तिवारी

युवा साहित्यकार रामजी तिवारी ने इस मौके पर कहा कि प्रेमचंद साहित्य में स्त्री संघर्ष करती है. उन्होंने गोदान के धनिया का उदाहरण देते हुए बताया किस प्रकार वह मूर्ख होकर भी समाज के सवालों से टकराती है.

साहित्य को लिखने से ज्यादा साहित्य को जिंदगी दी है – डॉ. अर्चना श्रीवास्तव

साहित्यकार डॉ अर्चना श्रीवास्तव ने कहा कि प्रेमचंद के विचारों और व्यवहारों में समानता थी. उन्होंने साहित्य को लिखने से ज्यादा साहित्य को जिंदगी दी है. युवा कहानीकार असित मिश्र ने कहा कि साहित्य में यथार्थ को सबसे पहले प्रेमचंद ने स्थापित किया. सौरभ चतुर्वेदी ने प्रेमचंद को स्त्री विमर्श को उतारने वाला लेखक बताया. डॉ. भोला प्रसाद आग्नेय में प्रेमचंद को धरातल का लेखक बताया.

समाज की विडंबनाओं को से टकराती है स्त्री – आशीष त्रिवेदी

युवा रंगकर्मी आशीष त्रिवेदी ने कहा कि प्रेमचंद ने हमें जीवन जीने का तरीका बताया. उनके साहित्य में स्त्री मुखर होकर समाज की विडंबनाओं को से टकराती है. इस अवसर पर डॉ. राजेंद्र भारती, धृति नारायण दास, शालिनी श्रीवास्तव, डॉ. उर्मिला शुक्ला, डॉ. प्रिया सिंह, संजय मौर्य आदि ने विचार व्यक्त किए. कार्यक्रम की शुरुआत युवा गायक ओम प्रकाश के लोकगीत गायन से हुई. कैसे खेले जाए सावन में कजरिया और सैया झूलनी मंगा द…. सुनाकर समां बांध दिया.

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मंत्र की मार्मिक प्रस्तुति

कार्यक्रम का समापन करते हुए सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्था द्वारा मानवीय संवेदना को झकझोरने वाली प्रेमचंद की मशहूर कहानी मंत्र का मंचन किया गया. मंत्र की प्रस्तुति मार्मिक थी. उपस्थित दर्शकों की आंखें नम हो गईं. प्रस्तुति में अमित पांडेय, सुनील शर्मा, अमित यादव, बसंत, राजेश, चंदन, भारद्वाज, प्रकृति, नितीश, संदीप सोनी, मेधा, ट्विंकल, गोकुल राज एवं स्मृति की भूमिका सराहनीय रही. नाटक का निर्देशन अमित कुमार पांडेय ने किया. संगीत स्मृति ने दिया. संचालन आनंद कुमार चौहान ने किया. जबकि संजय मोर्य ने सब के प्रति आभार व्यक्त किया. ढोलक पर संगीत प्रेम कुमार प्रेमी ने तथा पार्श्वगायन पंकज कुमार ने किया.

सामंतवाद विरोधी एवं समाज सुधारक थे मुंशी प्रेमचंद

राज्य सरकार द्वारा पुरस्कृत साहित्यकार भोला प्रसाद आग्नेय ने मुंशी प्रेमचंद को सामंतवाद के मुखर विरोधी तथा समाज सुधारक बताया. वह साहित्यिक सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्थान परिणीता के सतनी सराय स्थित कार्यालय पर आयोजित गोष्ठी में बोल रहे थे.

प्रेमचंद ने सामाजिक आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई

प्रख्यात साहित्यकार डॉ. जनार्दन राय कहा कि जो काम महात्मा गांधी, आचार्य विनोवा भावे ने राजनीतिक व सामाजिक आंदोलनों के माध्यम से किया. वही काम प्रेमचंद ने अपने साहित्य के माध्यम से करने का प्रयास किया. कवि शशि प्रेम देव ने कहा कि प्रेमचंद साहित्य देश काल की सीमाओं का अतिक्रमण करने की कूवत रखते हैं. इसलिए वे खूब पढ़े गए और खूब पढ़े जाते हैं.

कुरीतियों के खिलाफ संघर्ष करते रहे प्रेमचंद

डॉ राजेंद्र भारती ने निराशा व्यक्त करते हुए कहा कि जिन कुरीतियों के खिलाफ प्रेमचंद संघर्ष करते रहे. वह आज भी हमारे समाज में व्याप्त है. कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य अतिथि डॉ जनार्दन राय ने प्रेमचंद की प्रतिमा पर माल्यार्पण करके किया. विजय प्रकाश पांडेय ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की. संचालन भोला प्रसाद आग्नेय तथा आभार संस्था की सचिव सुनीता पाठक ने किया. इस अवसर पर गायक शैलेंद्र मिश्र, हिमांशु गुप्ता, राजू पांडेय, नेहा पाठक, राजकुमार मिश्र, सोनू, नीलम गुप्ता, नीतू अंकुर गुप्ता आदि उपस्थित रहे.

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