गाजीपुर के जांबाज सपूतों की आखिरी झलक का बेसब्री से है इंतजार

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गाजीपुर। कश्मीर के माछिल सेक्टर में एलओसी पर मंगलवार को गश्त करते वक्त पाकिस्तानी फौज के कायराना हमले में शहीद जवानों का पार्थिव शरीर का परिवारीजनों सहित गाजीपुर के लोगों को बेसब्री से इंतजार है. लोग अपने इन जांबाज सपूतों का अंतिम दर्शन करना चाहते हैं.

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शहीद मनोज कुशवाहा का बेटा मानव और बेटी मुस्कान

उनमें मनोज कुशवाहा बिरनो थाने के बद्धोपुर और शशांक सिंह कासिमाबाद थाने के नसीरुद्दीनपुर के रहने वाले थे. उनके घरों पर शोक संवेदना जताने वालों का तांता लगा है. पुलिस कप्तान अरविंद सेन ने बताया कि उम्मीद है कि 24 नवंबर की दोपहर बाद दोनों शहीदों के पार्थिव शरीर उनके घर लाए जाएं. इस बीच डीएम संजय कुमार खत्री भी शहीदों के घर पहुंचे. उनके परिवारीजनों का ढांढ़स बंधाए. एमएलसी विशाल सिंह चंचल के प्रतिनिधि पप्पू सिंह भी दोनों शहीदों के घर गए. शोक संतप्त परिवारों से मिले और कहे कि एमएलसी श्री चंचल अपना एक माह का एक लाख रुपये का वेतन दोनों परिवारों को मदद के रूप में देंगे. साथ ही उनके गांवों में शहीद स्तंभ अथवा शहीद द्वार का अपनी निधि से निर्माण कराएंगे. दोनों गांवों में सोलर लाइट भी लगेगी.

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उनके साथ माउंट लिटरा स्कूल के चेयरमैन शैलेंद्र सिंह, राजन सिंह, राजकुमार सिंह झाबर, तेजू सिंह, डॉ.प्रदीप पाठक आदि थे. शंशाक सिंह (24) की भर्ती सेना में वर्ष 2010 में राजपूताना राइफल में हुई थी. इन दिनों उनकी तैनाती 57 राष्ट्रीय राइफल में काश्मीर में थी. आखिरी बार वह जुलाई में छुट्टी आए थे. अभी इनकी शादी नहीं हुई थी. पाकिस्तानी फौजियों ने उनका शरीर छलनी कर दिया था. उनके बड़े भाई हिमांशु सिंह भी फौजी हैं और उनकी तैनाती भी कश्मीर में ही है. शहीद के घर शोक जताने पूर्व मंत्री शादाब फातिमा के अलावा सपा नेता डॉ.ब्रजभान सिंह बघेल, ब्रजेंद्र सिंह पहुंचे थे. बिरनो थाना क्षेत्र के बद्धोपुर में शहीद मनोज कुमार कुशवाहा (31) के घर पर केवल चीत्कार ही सुनाई पड़ रही है. पत्नी मंजू देवी और मां शीला देवी का रो रो कर बुरा हाल है. मनोज सेना में वर्ष 2002 में भर्ती हुए थे. 20 अगस्त को छुट्टी पर घर आए थे, लेकिन पाकिस्तानी सीमा में सर्जिकल स्ट्राइक के बाद उन्हें 28 अगस्त को सीमा पर बुला लिया गया. शहादत से कुछ घंटे पहले मनोज कुशवाहा अपने छोटे भाई बृजमोहन से फोन पर बात किए थे. और कहे थे कि वह दो-चार दिन में छुट्टी लेकर घर आएंगे. पिछले वर्ष बहन प्रिया की शादी में लिए कर्ज को भी लौटाएंगे. उनकी इच्छा थी कि छुट्टी में घर आकर मकान का अधूरा पड़ा काम को पूरा कराएं, लेकिन अरमान धरे के धरे रह गए. मनोज को दो संताने हैं. बेटा मानव और पुत्री मुस्कान.

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दोनों रणबांकुरों में थी गहरी दोस्ती. शहीद मनोज के घर पहुंचे राजपूत रेजिमेंट के लांसनायक रविप्रताप सिंह ने बताया कि मनोज कुमार और शशांक सिंह एक ही साथ रहते थे. दोनों ड्यूटी से खाली होने के बाद साथ बाजार जाते. साथ भोजन करते. शहीद मनोज के पिता का ढाढस बढ़ाने सीओ हृदयानंद के अलावा भाजपा के वरिष्ठ नेता कुंवर रमेश सिंह पप्पू भी पहुचे थे. दो जवान के एक साथ शहादत की पूरे जनपद में चर्चा है.