फितरत ‘तबीयत से मिलनसार’ हो तो तबियत आड़े नहीं आती….

लेखन-साहित्य जगत में डॉ जनार्दन राय जी जैसी शख्सियतों की शिनाख्त ही बलिया की खांटी माटी से होती है… ‘गांव क माटी’ उनकी एक कृति भी है….