सरयू नदी का कटान इन दिनों तेज़ी से बढ़ रहा है। बांसडीह तहसील क्षेत्र के भोजपुरवा, सुल्तानपुर और महाराजपुर गांव इसके सबसे ज्यादा शिकार बने हुए हैं। कटान से जमीनें नदी में समा रही हैं, जिससे ग्रामीण दहशत में हैं।
जिले के कई गांव बाढ़ की चपेट में आए हैं। पूर्व नेता प्रतिपक्ष एवं वरिष्ठ समाजवादी पार्टी नेता रामगोविन्द चौधरी सोमवार को बांसडीह क्षेत्र में सरयू नदी पार बाढ़ और कटान की चपेट में आए चकविलियम, दियारा भागर और महाराजपुर गांव पहुंचे।
सरयू नदी की कटान ने इस बार भी बांसडीह क्षेत्र के ग्रामीणों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। महाराजपुर नाहर छपरा बस्ती के समीप करीब डेढ़ सौ मीटर की दूरी पर सरयू नदी तेजी से जमीन काट रही है
प्रशासन एक तरफ बाढ़ पीड़ितों को हर सुविधा समय पर देने के दावे कर रहा है वहीं पूर्व राज्य मंत्री और भाजपा नेता आनंद स्वरूप शुक्ल ने बलिया नगर विधानसभा क्षेत्र के कई गांवों में बाढ़ पीड़ितों को राहत सामग्री न मिलने का बड़ा आरोप लगाया है।
इस बार बलिया की धरती पर बाढ़ का पानी इतना फैल गया कि असर त्योहार पर भी दिखा. नदियों ने अपने किनारे तोड़े और पानी कई गांवों के घरों में घुस गया, सड़क, रास्ते पानी में डूब गए।
जिले के कई हिस्से बाढ़ से प्रभावित हैं, ऐसे में शासन-प्रशासन लोगों को राहत पहुंचाने के लिए मुस्तैद है। अधिकारियों-कर्मचारियों की ड्यूटी राहत कार्यों में लगाई गई है और उन्हें कोई भी कोताही नहीं बरतने के साफ निर्देश हैं.
बाढ़ से मचे हाहाकर के बीच कुछ तस्वीरें ऐसी आईं हैं जो इस त्रासदी के बीच मुस्कुराने का मौका देती है। जिले में गंगा की बाढ़ के पानी का तांडव चरम पर है। इस बाढ़ के बीच ही एक बारात निकली।
नए पुल पर आवागमन देख प्रदेश के परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह आग बबूला हो गए और बीच सड़क पर पीडब्ल्यूडी के एक्सईएन को जमकर फटकार लगा दी.वहीं भाजपा जिलाध्यक्ष की ओर से इस कदम को जनहित का बताए जाने से चर्चाएं गर्म हैं कि एक ही पार्टी के नेता अलग-अलग सुर में क्यों बोल रहे हैं.
नदियों को जीवनदायिनी कहा जाता है। किंतु ये जीवनदायिनी नदियां आज मानव की भोगवादी प्रवृत्ति एवं विलासितापूर्ण जीवन के चलते इस कदर प्रदूषित हो गयी हैं कि इन नदियों जल पीने को कौन कहे, स्नान करने योग्य भी नहीं रह गया है
गंगा नदी एवं सरयू नदी के जलस्तर में निरन्तर वृद्धि होने के कारण जनपद की तहसील सदर, बैरिया, बांसडीह, सिकन्दरपुर एवं बेल्थरारोड के गांव प्रभावित हो सकते है.
रूपेश ने रेत पर पिता व पुत्र की खूबसूरत आकृति उकेरी हैं जो लोगों के आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। रूपेश सिंह पहले भी कई कलाकृतियों को रेत पर उकेर चुके हैं
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