भृगु क्षेत्र में गंगा स्नान के बाद दर्शन पूजन हजारों ने किया

तीसरा स्थान गुजरात प्रान्त का भड़ौच (भरुच) जिसे भृगु कच्छ कहा जाता है . इसे भृगु पुत्र च्यवन ने अपने श्वसुर राजा शर्याति की मृत्यु के बाद आबाद किया था.

Annual worship festival of Adi Dev Baba concluded with various programs and Bhandara.

80 विद्वानों को सम्मानित किया गया

डॉ. मिथिलेश कुमार तिवारी ने आगत अतिथियों का स्वागत किया. अपने स्वागत भाषण में डॉ मिथिलेश तिवारी ने कहा विगत 12 वर्षों से हर वर्ष इस कार्यक्रम का सफल आयोजन किया जा रहा है.

Music is the medium to please Gods and Goddesses

देवी देवताओं को रिझाने का माध्यम है गीत संगीत

उक्त बातें सामाजिक चिंतक एवं गीतकार बब्बन विद्यार्थी ने रविवार को पत्रकारों से बातचीत के दौरान व्यक्त किया.
कहा कि गीतों को साहित्य, भाव, छन्द, अलंकार एवं रस आदि द्वारा एक दुल्हन के श्रृंगार की तरह सजाया जाता है

लोचन जी नहीं रहे, पार्थिव शरीर आज पंचतत्व में होगा विलीन

बकोटाराम और लोचन की कुण्डिलियां स्तम्भों के रचनाकार श्री लालजी सहाय लोचन जी का 95 वर्ष की आयु में आज दिनांक 09 दिसम्बर 2021 को प्रातःकाल 05 बजे निज निवास काशीपुर बलिया में निधन हो गया. इनका अंतिम संस्कार महाबीर घाट गंगा तट पर 10 दिसम्बर सोमवार को 10 बजे दिन में होगा.

आज से बलिया में होगा रंगकर्मियों का जमावड़ा

संकल्प साहित्यिक सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्था बलिया द्वारा अपने 15वीं वर्षगांठ पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय नाट्य समारोह “संकल्प रंगोत्सव” का आयोजन किया गया है.

बलिया में पहली बार राष्ट्रीय नाट्य समारोह संकल्प रंगोत्सव 27 से….

बलिया में पहली बार राष्ट्रीय नाट्य समारोह का आयोजन होने जा रहा है. उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल के रंगकर्मियों का महासंगम इन 3 दिनों में होगा और 6 नाटकों का भव्य मंचन भी.

बलिया की नाट्य संस्था ‘संकल्प’ का ‘संकल्प रंग उत्सव’ 27 दिसंबर से

बलिया के रंगमंच, साहित्य एवं कला की संस्था ‘संकल्प’ के 15 वर्ष दिसंबर में पूरे होंगे. ‘संकल्प’ का तीन दिवसीय नाट्य महोत्सव ‘संकल्प रंगोत्सव’ आयोजन होगा.

साहित्य में भी दखल रखते थे डॉ. लहरी

शक्ति स्थल स्कूल पर स्कूल के संस्थापक डॉ अवध बिहारी तिवारी लहरी की पुण्यतिथि मनाई गई. विद्यालय के प्रबंधक ने डॉ. लहरी के चित्र पर फूल चढ़ाये.

पहिले हमनी के गाँव -जवार में बियाह-सादी में नाच आ बैंडबाजा के बहुते महातम रहे

अब त विडियो आ टीवी के आगे सब नाचबाजा फेल बा. नयका लोग भोजपुरी के माने फूहड़ता समझत बा लोग.

करि के गवनवाँ भवनवाँ में छोड़ि के, अपने परइलऽ पुरुबवा बलमुआँ…

तोहरे कारनवाँ परानवाँ दुखित बाटे,
दया क के दरसन दे दऽ हो बलमुआँ।
काइ कइलीं चूकवा कि छोड़लऽ मुलुकवा तूँ,
कहलऽ ना दिलवा के हलिया बलमुआँ।
साँवली सुरतिया सालत बाटे छतिया में,
एको नाही पतिया भेजवलऽ बलमुआँ।
कवना नगरिया डगरिया में पिया मोर,
करत होइबऽ घर-बास हो बलमुआँ।

24 दिसंबर को पटना में होगी रिलीज कल्पना की ‘द लेगेसी ऑफ भिखारी ठाकुर-2’, 105 साल के रमाज्ञा राम ने दी है अपनी आवाज़

भोजपुरी के शेक्सपीयर कहे जाने वाले लोक कलाकार भिखारी ठाकुर के जीवन को जीवंत करने के प्रयास में बरसों से लगी सुप्रसिद्ध गायिका कल्पना 24 दिसंबर को पटना के विद्यापति भवन में एक समारोह के दौरान ‘द लेगेसी ऑफ भिखारी ठाकुर वोल्यूम-2’ को रिलीज़ करेंगी.

पद्मश्री कृष्णबिहारी मिश्र : बलिया के बलिहार गांव में ओह साल थरिया छठ के दिन बाजल रहे

5 नवंबर को हम सब के पुरनिया और थाती पद्मश्री कृष्णबिहारी मिश्र जी प्राकट्योत्सव है. वइसे बलिया जिला के बलिहार गांव में ओह साल बबुना मइया आ घनश्याम बाबा के अंगना में थरिया छठ मतलब सूर्य षष्ठी के दिन बाजल रहे.

गड़वार के युवा कवि अदनान कफील दरवेश को ‘भारत भूषण अग्रवाल’ पुरस्कार

अदनान की यह कविता माँ की दिनचर्या के आत्मीय, सहज चित्र के जरिेए “माँ और उसके जैसी तमाम औरतों” के जीवन-वास्तव को रेखांकित करती है. अपने रोजमर्रा के वास्तविक जीवन अनुभव के आधार पर गढ़े गये इस शब्द-चित्र में अदनान आस्था और उसके तंत्र यानि संगठित धर्म के बीच के संबंध की विडंबना को रेखांकित करते हैं.

आत्मीय और जीवंत कथाकार थे अमरकांत

अमरकांत अत्यंत आत्मीय कथाकार, उपन्यासकार थे. उतने ही सहज और पारदर्शी. उनकी रचनाएं दिल को छू कर देर तक दिमाग पर छाई रहती हैं. अमरकांत की अनुपस्थिति से रिक्तता का बोध होना स्वाभाविक है. वे प्रेमचंद की परंपरा के कथाकार थे. उन्होंने उस समय अपनी पहचान बनाई जब नई कहानी आंदोलन जोर पकड़ चुका था.

अपने संहतिया से चुहलबाजी में केदारनाथ सिंह लकठो-पटउरा मांगना कभी नहीं भूले

डॉक्टर साहब जब भी गांव आते अपने मित्र रमाशंकर तिवारी के साथ पैदल 4 किमी दूर पैदल चल कर रानीगंज बाजार जरूर आते थे.

साहित्यकार भगवती प्रसाद द्विवेदी को मुख्यमंत्री के हाथों बाल साहित्य भारतीय सम्मान

उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान ने वर्ष 2016 के लिए बाल साहित्य का सर्वोच्च सम्मान ‘बाल साहित्य भारती‘ प्रख्यात बाल साहित्यकार भगवती प्रसाद द्विवेदी को प्रदान किया गया. सम्मान स्वरूप उन्हें दो लाख रुपये तथा प्रशस्ति पत्र आदि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के हाथों लखनऊ में भेंट किया गया.

शहर छोड़ी चल गंउवें, चलि के कर किसानी सजना

कवियत्री व अभिनेत्री राधिका तिवारी ने पूर्वांचल की युवतियों के दिलों में रंगमंच और साहित्य का सपना पैदा किया, जिससे इस रुढिवादी इलाके की अनेक महिलाएं अभिनय, गायन के क्षेत्र में आगे निकली. 

पनिया के जहाज से पलटनिया बनके जइहऽ…. हमके ले के अइहऽ हो…..पिया सेनूरा बंगाल के

अंगुलि में डसले बिया नागिनिया रे, ननदी सैंया के जागा द. सासु मोरा मारे रामा, बास के छेवकिया, कि ननदिया मोरा रे सुसुकत, पनिया के जाए, जैसे कई लोक प्रिय धुन जब सुनाई पड़ती हैं तो बरबस ही इन गीतों के रचियता पंडित महेंद्र मिश्र (महेंदर मिसिर) की याद हर भोजपुरी भाषा-भाषी के लोगों को आ ही जाती है.

‘आषाढ़ का एक दिन’ का मंचन आज

संकल्प साहित्यिक सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्था द्वारा 30 जनवरी को सायं 5.30 बजे से बापू भवन में आषाढ़ का एक दिन नाटक का मंचन होना है.

अच्छे लोगों को सियासत में आना होगा – संतोष यादव

शहर की प्रतिष्ठित संस्था हजरत सैय्यद मसऊद गाजी वेलफेयर सोसायटी की ओर से सैय्यदवाड़ा स्थित शाहलग्न पैलेस में ‘‘हिन्दी साहित्य’’ में गाजीपुर का योगदान नामक एवं कार्यक्रम का आयोजन किया गया. हजरत सैय्यद मसऊद गाजी रह0 अवार्ड से सम्मानित साहित्यकार रामावतार की प्रसिद्ध लेखनी पर डॉ. रिचा राय ने उद्गार व्यक्त करते हुए कहा कि उनकी रचनाएं जमीन से जोड़ती है, आम आदमी की पीड़ा को वह बखूबी व्यक्त कर लेते हैं, वह खूब लिखते हैं और दिलों में हलचल पैदा करते हैं.