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बाबा भोले भंडारी की नगरी ब्रह्मपुर की एक अलग ही विशिष्टता है.. यहां पर हरेक जगह से लोग आते है और बाबा की पूजा अर्चना करते है. महाशिव रात्रि के समय का नज़ारा अद्भुत होता है. ये मंदिर बक्सर, आरा, बलिया, छपरा और सासाराम मे बहुत ज़्यादा प्रसिद्ध है. वैसे तो बिहार और उत्तर प्रदेश के कोने कोने से श्रद्धालु यहां पर दर्शन करने आते हैं.
हिन्दू-मुस्लिम सद्भाव का अद्भुत नजारा देखना हो तो शहर से सटे दुबहड़ ब्लाक के ग्राम सभा अखार के पुरवा दादा के छपरा में आपका स्वागत है. इस गांव में मजार व मन्दिर न सिर्फ एक ही परिसर में स्थित है, बल्कि यहां दोनों समुदायों के लोग उर्स व शिवरात्रि का पर्व एक साथ मनाते भी हैं. खास बात यह है कि मन्दिर के कर्त्ता-धर्ता व साल में दो बार लगने वाले उर्स (मेला) का सरंक्षक एक ही व्यक्ति है. उस शख्स का नाम है गुप्तेश्वर पाठक उर्फ गोगा पाठक.