गाजीपुर। 18 दिसंबर की रात में नंदगंज थाना क्षेत्र के बरठी गांव स्थित पम्पिंग सेट पर मनोज पासवान की हत्या के मामले में पुलिस की ओर से शुक्रवार को सनसनीखेज खुलासा किया गया. पुलिस की माने तो अब दोस्ती जैसे पवित्र रिश्ते भी लोगों का एतबार हट चुका है. भारतीय संस्कृति में एक मित्र अपने मित्र की खुशी के लिए सब कुछ कुर्बान कर देता है, लेकिन पुलिस की ओर से मनोज पासवान की हत्या के मामले में जो खुलासा किया गया है, उसमें तो एक दोस्त ने अपने ही दोस्त को मार डाला. वह भी एक युवती के लिए. एसपी अरविंद सेन ने पुलिस लाइन में आयोजित प्रेस कान्फ्रेंस में पत्रकारों से मुखातिब होते हुए मनोज पासवान की हत्या के मामले का खुलासा किया.
पुलिस के खुलासे से मौके पर मौजूद हर कोई सन्न रह गया. दरअसल मनोज पासवान की हत्या के पीछे त्रिकोणीय प्रेम कहानी है. मनोज पासवान सदर कोतवाली क्षेत्र के खांवपुर गांव का रहने वाला था. वह नंदगंज थाना क्षेत्र के सिहोरी में रहने वाले अपने मामा व ग्राम प्रधान विशाल पासवान के यहां रहता था. पुलिस के अनुसार गांव की एक युवती से मनोज पासवान के प्रेम प्रसंग थे. उसी युवती से मनोज पासवान के मित्र उमेश कुमार का भी संबंध था. युवती की बातचीत दोनों से होती थी, लेकिन उमेश को नहीं पता था कि उसके अलावा उस युवती से मनोज भी बातचीत करता है. एक दिन उमेश युवती के संग बैठा था. इसी दौरान व युवती के मोबाइल को चेक करने लगा. युवती के मोबाइल में काल डिटेल के रिकार्ड में अपने मित्र मनोज पासवान का नंबर देखकर वह खफा हो गया. उसे पता चल गया कि मनोज भी युवती से बातचीत करता है, फिर क्या था उमेश युवती के प्रेम में इस कदर अंधा हुआ कि उसने अपने ही दोस्त को खत्म करने की ठान ली. मनोज पासवान बरठी स्थित पम्पिंग सेट पर रात में सोता था.
अपनी हिफाजत की गरज से वह देशी तमंचा भी अपने साथ रखता था. मनोज के साथ पम्पिंग सेट वाले कमरे में उसका मित्र उमेश भी सोता था. 18 नवंबर की रात मनोज के पास देशी तमंचे के अलावा दो गोलियां भी थीं. उसने एक गोली तमंचे में लोड किया. इसे इत्तेफाक कहा जाए या कुछ और कि प्रत्येक रात सोते समय वह अपने तमंचे को अपने सिर के पास रखता था, लेकिन हत्या की रात वह उसको नीचे रखकर सो गया. दूसरी तरफ मनोज को रास्ते से हटाने की पहले से योजना बना चुका उमेश आधी रात में उठा और उसने मनोज के तमंचे से ही उसकी खोपड़ी में गोली मारकर हत्या कर दिया. इसके बाद मौके से वह फरार हो गया. जब परिजनों को मनोज की हत्या की सूचना मिली तो वह बिलख पड़े. मनोज की इस तरह से हत्या होने के कारण लोगों में गुस्सा काफी अधिक था. मौके पर जब पुलिस शव को कब्जे में लेने के लिए पहुंची थी, तो लोगों ने पथराव करके पुलिस को खदेड़ दिया था. सबसे दिलचस्प बात यह है कि उस वक्त मौके पर उमेश कुमार भी मौजूद था. पहला पत्थर पुलिस पर उसी ने फेंका था.
पुलिस अधीक्षक अरविन्द सेन ने बताया कि मनोज पासवान के मामा की ओर से दस नामजद व दो अज्ञात लोगों के खिलाफ तहरीर दी गई थी. जब गहराई से पूरे मामले की जांच की गई तो उमेश कुमार की पोल खुल गई. मनोज की हत्या वक्त उमेश ने उसके सिम कार्ड को भी तोड़ दिया था, ताकि पुलिस को उसके व युवती के बीच के संबंधों के बारे में जानकारी न मिल सके और वह पुलिस की गिरफ्त में न आए. शुक्रवार को क्राइम ब्रांच व सीओ भुड़कुड़ा नंदगंज क्षेत्र में भ्रमण कर रहे थे. इसी दौरान मुखबिर से सूचना मिली कि मनोज का हत्यारोपित नंदगंज रेलवे स्टेशन पर मौजूद है. वह ट्रेन पकड़कर कहीं भाग जाने की फिराक में है. सूचना मिलते ही क्राइम ब्रांच की टीम व भुड़कुड़ा सीओ सक्रिय हो गये. मौके पर पहुंचकर उन्होंने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया. उमेश कुमार नंदगंज थाना क्षेत्र के सिहोरी गांव का रहने वाला है. उसके पास से 315 बोर का एक अदद तमंचा, एक खोखा, मनोज का मोबाइल व दो टूटे हुए सिम के टुकड़े मिले हैं.
सफलता प्राप्त करने वाली टीम में सर्विलांस प्रभारी शिवानंद मिश्रा, दुर्गेश्वर मिश्रा, नंदगंज एसओ सुशील कुमार यादव, श्रीप्रकाश शुक्ला, अमित कुमार मिश्रा, रामकिशुन, सुधीर राय, रामप्रताप सिंह, विनीत दूबे, भाईलाल सोनकर, धनंजय सिंह, अजय कुमार जायसवाल, संजय प्रकसाद, विकास श्रीवास्तव, हरिगोविंद दूबे, शिवनरायन राय आदि लोग शामिल रहे.