गंदा है पर धंधा है –प्रसूता को जबरन भेजा जाता है प्राइवेट नर्सिंग होम

बैरिया (बलिया) से वीरेंद्र नाथ मिश्र

virendra_nath_mishraजिलाधिकारी व मुख्य चिकित्साधिकारी के तमाम कड़े निर्देशों के बाद भी स्वास्थ्य विभाग का गड़बड़झाला बेखौफ जारी है. आशाओं द्वारा अपने नकदी लाभ के लालच में गर्भवती महिलाओं को प्राइवेट नर्सिंग होम पर पहुंचाया जा रहा है. वहीं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के प्रसव केंद्रों पर आने वाली प्रसूताओं को एएनएम द्वारा प्रेरित करके प्राइवेट नर्सिंग होम धड़ल्ले से भेजा जा रहा है.

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मंगलवार की रात प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मुरली छपरा के उपकेंद्र सोनबरसा पर रानी तिवारी पत्नी आकाश तिवारी निवासी श्रीनगर प्रसव के लिए परिजनों द्वारा लाई गयी. ड्यूटी पर तैनात एएनएम वंदना राय व नीलम यादव जांच कर बतायी कि सब कुछ सामान्य है. कुछ देर में सुरक्षित प्रसव हो जाएगा. प्रसूता को अपने यहां रख ली, फिर एक डेढ़ घंटे बाद स्थिति गंभीर बताते हुए बैरिया के एक प्राइवेट नर्सिंग होम में जाने की सिर्फ सलाह ही नहीं दी, बल्कि मोबाइल पर नर्सिंग होम संचालक से खुद रोगी भेजने की बात की और प्रसूता के परिजनों से बात भी करा दी.

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एएनएम द्वारा बात को डरा कर कहे जाने से परेशान परिजन उनके बताए गए नर्सिंग होम पर गए, जहां आपरेशन कर प्रसव करा दिया गया और मोटी राशि फीस के रूप में सुना दी गई. इतना ही नहीं, भोर में प्राइवेट नर्सिंग होम में भर्ती उस प्रसूता व उसके परिजनों से एएनएम वंदना राय बात कर प्रसव का हाल जाना और लगने वाले खर्च की जानकारी भी ली. भ्रष्टाचार किस गहराई तक है, इस घटना से अंदाजा लगाया जा सकता है. इस बाबत प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मुरली छपरा एमओआईसी डॉ. व्यास कुमार से यह पूछा गया कि गंभीर मामलों में रेफर कहां किया जाएगा?  जिला अस्पताल में या प्राइवेट नर्सिंग होम में?  इसके जवाब में डॉ. व्यास ने बताया कि रेफर तो जिला अस्पताल ही किया जाता है, जब घटना की जानकारी दी गई तो बोले, हमें इस बाबत पहले से जानकारी नहीं है. पीड़ित की तरफ से प्रार्थना पत्र भिजवा दीजिए, जांच कर कार्रवाई की जाएगी.

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प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मुरली छपरा पर उपस्थित एक आशा ने कहा कि यह तो यहां का रोज का धंधा है. यहां से तो समाजवादी एंबुलेंस द्वारा भी प्रसूताओं को निजी नर्सिंग होम में पहुंचाया जाता है. बस व्यवस्था तगड़ी चाहिये. नाम न छापने की शर्त पर बताया कि प्रसव कहीं भी हो, यहां पर रजिस्टर पर चढ़ाने की लाभप्रद समझौते वाली व्यवस्था कुछ लोगों के लिए की जाती है. ऐसा करके आशा और प्रसूता को जननी सुरक्षा योजना की सुविधा भी प्रदान की जाती है. इस विभाग का सिस्टम उल्टा है. यहां आशाओं को किसी भी गांव का केस लाने की छूट है, जबकि सब लोगों के लिए कार्य क्षेत्र निर्धारित किया गया है.

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अगर यह आदेश हो जाता कि अपने कार्य क्षेत्र का ही केस लाने पर आशा और प्रसूता को जननी सुरक्षा योजना की सुविधा प्रदान की जाएगी, तो भ्रष्टाचार कम होता. यह चढ़बाक (दबंग) टाइप की आशाएं जिले के किसी कोने का केस लाती हैं या कहीं का प्रसव हुआ यहा के रजिस्टर पर चढ़ावा लेती हैं. ऐसे में यहां भ्रष्टाचार चरम पर है.

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आशा ने सुझाव दिया आप पत्रकार लोग जिलाधिकारी और मुख्य चिकित्साधिकारी से यह कहें कि जो आशा अपने कार्यक्षेत्र फे बाहर का केस लाएगी ऐसे में बाहरी क्षेत्र के केसों पर कोई सुविधा प्रदान नहीं की जाएगी. देखिये क्या होता है. अधिक प्रसव कराने के नाम पर जो लोग सम्मानित होती है, अपमानित हो जायेगी. जांच मे उनका कार्य क्षेत्र ही सिफर हो जायेगा. किसी का रिकार्ड उलट कर देखा जा सकता है. अपने क्षेत्र का ही कार्य करने वाले को प्रोत्साहित करना चाहिये. एक आशा के क्षेत्र की आबादी मे 12 प्रसव साल में होने के सरकारी अनुमान है. अस्सी, नब्बे व सौ से अधिक प्रसव भ्रष्टाचार से नहीं हो रहा है तो क्या सेवा से होता है.

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