
Category: कैंपस











कुलपति प्रो. निर्मला एस. मौर्य ने कहा कि खेल से तन और मन दोनों स्वस्थ होता। उन्होंने कहा कि देशी खेलों को संरक्षित रखने और बढ़ावा देने की जरूरत है. ये खेल परंपरा में निहित हैं और हमारी सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है. कुलसचिव महेंद्र कुमार ने कहा कि खेल को खेल भावना और मनोरंजन की दृष्टि से देखने की जरूरत है.


कार्यशाला के उद्घाटन सत्र के सन्देश में कुलपति प्रो निर्मला एस. मौर्य ने कहा कि महिलाएँ सदियों से सांप्रदायिक सदभाव को कायम रखने में अहम् भूमिका निभाती आ रही है। बच्चों की पहला शिक्षिका उनकी माँ होती है। बचपन से ही सांप्रदायिक सदभाव का पाठ महिलाएं अपने बच्चों को देती रहती है। घरवालों, पड़ोसियों एवं समाज के बीच सांप्रदायिक सदभाव बनाने में महिलाओं हमेशा अग्रसर होती है। वहीं कामकाजी महिलाएं अपने कार्य स्थल पर सांप्रदायिक सदभाव का मिशाल देती रहती है।




कार्यक्रम की शुभारंभ गांधीजी जी का प्रसिद्ध भजन रघुपति राघव राजा राम से हुआ इस अवसर पर कुलपति ने विशेष रूप से छात्राओं को जीवन में संघर्ष करने खेलकूद में अग्रसर रहने तथा सदा पढ़ाई लिखाई में तत्पर रहने को प्रेरित किया इस अवसर पर प्रख्यात अंतर्राष्ट्रीय मौसम वैज्ञानिक एवं गांधी महाविद्यालय के संस्थापक पद्मश्री प्रोफेसर जगदीश शुक्ला जी एवं अमेरिका से आये हुए.

कार्यक्रम प्रतिभा सम्मान समारोह के रूप में कलेक्ट्रेट स्थित गंगा बहुद्देश्यीय सभागर में आयोजित हुआ जहां जहां बड़ी संख्या में छात्र, छात्राएं, अभिवावक और शिक्षक उपस्थित हुए.

विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर निर्मला एस. मौर्य ने सद्भाव दौड़ को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि सभी धर्मों का उद्देश्य एक ही है। सभी धर्मों का मूल तत्व इंसानियत है। लोगों को एक दूसरे के धर्मों के बारे में जानकारी होनी चाहिए। छात्रों को मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा, गिरिजाघर आदि में भी जाना चाहिए।
