देखो वीर जवानों अपने खून पे ये इल्जाम ना आए….

अंग्रेजी हुकूमत की छाती पर कील ठोंक कर भारत को आजादी से पहले आजादी हासिल करने वाले 18 अगस्त सन 1942 में अपने प्राणों को न्यौछावर करने वाले शहीदों की स्मृति में लगने वाला शहीद मेला रविवार को बैरिया शहीद स्मारक पर लगा

9 को बलिया के स्वतंत्रता सेनानी राम विचार पांडेय को सम्मानित करेंगे राष्ट्रपति

भारत छोड़ो आंदोलन की स्मृति में नौ अगस्त को ‘राष्ट्रपति भवन’ में आयोजित सम्मान समारोह में राष्ट्रपति रामनाथ कोविद वयोवृद्ध स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को सम्मानित करेंगे.

24 दिसंबर को पटना में होगी रिलीज कल्पना की ‘द लेगेसी ऑफ भिखारी ठाकुर-2’, 105 साल के रमाज्ञा राम ने दी है अपनी आवाज़

भोजपुरी के शेक्सपीयर कहे जाने वाले लोक कलाकार भिखारी ठाकुर के जीवन को जीवंत करने के प्रयास में बरसों से लगी सुप्रसिद्ध गायिका कल्पना 24 दिसंबर को पटना के विद्यापति भवन में एक समारोह के दौरान ‘द लेगेसी ऑफ भिखारी ठाकुर वोल्यूम-2’ को रिलीज़ करेंगी.

लोग सूती अउरी कुकुर भुकि, तब चौबाइन के बीजे होखि

मेरे घर के पीछे पद्मदेव पाण्डेय का मकान था. पद्मदेव पाण्डेय उस जमाने में गाँव के एक मात्र पढ़े लिखे व्यक्ति थे. वह भी Bsc , MA , L.L.B. मेरी माँ और उनकी पत्नी का आपस में बहनापा था.

पद्मश्री कृष्णबिहारी मिश्र : बलिया के बलिहार गांव में ओह साल थरिया छठ के दिन बाजल रहे

5 नवंबर को हम सब के पुरनिया और थाती पद्मश्री कृष्णबिहारी मिश्र जी प्राकट्योत्सव है. वइसे बलिया जिला के बलिहार गांव में ओह साल बबुना मइया आ घनश्याम बाबा के अंगना में थरिया छठ मतलब सूर्य षष्ठी के दिन बाजल रहे.

जल्दी छुट्टी लेके आजा, घरवा भइल बा कारगिल, ए बबुआ मेहरी तोहार कइले बिया जियल मुश्किल

निरहुआ इंटरटेंमेंट के बैनर तले बनी भोजपुरी की सबसे बड़ी मल्‍टी स्‍टारर फिल्‍म ‘बॉर्डर’ लगातार रिकॉर्ड कायम कर रही है. यह वजह है कि ‘बॉर्डर’ इस साल की सफल में फिल्‍मों से एक बन गई है.

भोजपुरी के प्रसिद्ध लोक गायक बृज ठाकुर नहीं रहे

भोजपुरी के ख्याति प्राप्त गायक बृज ठाकुर का गुरुवार की रात उनके पैतृक गाँव भुवालछपरा नौरंगा में निधन हो गया. वह 65 वर्ष के थे और कुछ दिनों से अस्वस्थ चल रहे थे.

भईया, मुख्यमंत्री तौ अमित शाहै होइहैं

उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव का परिणाम 11 मार्च को ही आ गया था. भाजपा गठबंधन ने अप्रत्याशित जीत दर्ज करते हुए 403 सीटों में से 325 सीटों पर कब्जा कर लिया है. भाजपा ने 312, अपना दल ने 9 और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी ने 4 सीटों पर कब्जा जमाया है. अब सवाल सूबे के मुख्यमंत्री का है .

पनिया के जहाज से पलटनिया बनके जइहऽ…. हमके ले के अइहऽ हो…..पिया सेनूरा बंगाल के

अंगुलि में डसले बिया नागिनिया रे, ननदी सैंया के जागा द. सासु मोरा मारे रामा, बास के छेवकिया, कि ननदिया मोरा रे सुसुकत, पनिया के जाए, जैसे कई लोक प्रिय धुन जब सुनाई पड़ती हैं तो बरबस ही इन गीतों के रचियता पंडित महेंद्र मिश्र (महेंदर मिसिर) की याद हर भोजपुरी भाषा-भाषी के लोगों को आ ही जाती है.

खेती और बेटी को बढ़ावा देने की जरूरत – प्रो. योगेंद्र सिंह

जननायक चन्द्रशेखर विश्वविद्यालय बलिया के कुलपति योगेन्द्र सिंह ने कहा कि विश्व के 18 देशों में भोजपुरी भाषा बोली जाती है. 25 करोड़ की आबादी भोजपुरी को अपनी मातृभाषा मानती है. बावजूद भोजपुरी को आठवीं अनुसूची में आज तक शामिल नहीं किया गया, जो सोचनीय प्रश्न है.

साहित्य के पुरोधा के गांव को तारणहार का इंतजार

लोक साहित्य व संस्कृति के पुरोधा, भोजपुरी के शेक्सपियर का गांव कुतुबपुर काश. स्थानीय सांसद व केन्द्रीय राज्य मंत्री राजीव प्रताप रूड़ी के सांसद ग्राम योजना के तहत गोद में होता तो शायद पुरोधा के गांव को तारणहार की प्रतीक्षा नहीं होती. गंगा नदी नाव से उस पर छपरा से करीब 25 किलोमीटर दूर स्थित कुतुबपुर गांव आज भी अंधेरे में है. कार्यक्रमों की रोशनी व राजनेताओं का आश्वासन भी उस गांव को रोशन नहीं कर सका.

चीथड़ों में गुजर बसर कर रहे हैं  भिखारी ठाकुर के परिजन

रविवार को लोक संस्कृति के वाहक कवि व भोजपुरी के शेक्सपियर माने जाने जाने वाले भिखारी ठाकुर का जयंती मनाई गई, लेकिन क्या कोई यकीन कर सकता है कि भक्तिकालीन कवियों व रीति कालीन कवियों के संधि स्थल पर कैथी लिपि में कलम चलाकर फिर रामलीला, कृष्णलीला, विदेशिया, बेटी-बेचवा, गबरघिचोरहा, गीति नाट्य को अभिनीत करने वाले लोक कवि भोजपुरी के शेक्सपियर भिखारी ठाकुर का परिवार चीथड़ों में जी रहा हो.

भोजपुरी लोकधुन लहरों के राजहंस भिखारी ठाकुर

असीमीत जमीनी जानकारी, सपाट शैली व अलौकिक इल्म ने तब के ‘लोकगायक’ भिखारी ठाकुर को अंतर्राष्ट्रीय उंचाई दी. अति सामान्य इस व्यक्ति की लोक समझ, शोध प्रबंधों का साधन बन गई. भोजपुरी के प्रतीक भिखारी ठाकुर अपनी प्रासंगिक रचनाधर्मिता के कारण भारतीय लोक साहित्य में ही नहीं, सात समुंदर पार मारीशस, फीजी, सूरीनाम जैसे देशों में भी अत्यंत लोकप्रिय हैं.

13 अगस्त 1942, महिलाओं ने संभाला था मोर्चा

जब ब्रिटिश हुकूमत ने बलिया में स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई लड़ रहे लोगों पर कहर ढाना शुरू किया तो 13 अगस्त 1942 को महिलाओं ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया. महिलाएं बलिया चौक में एकत्रित हुईं और ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.

12 अगस्त 1942, जब छात्रों ने किया क्रांति का शंखनाद

1942 का आंदोलन बलिया में उग्र होता जा रहा था. अंग्रेजों का जुल्म भी बढ़ता जा रहा था. आंदोलन को दबाने के लिए ब्रिटिश हुकूमत ने जिला अधिकारी एवं पुलिस कप्तान को व्यापक अधिकार दे रखे थे.

अब भी बलिया के युवकों में बयालीस का खून उबलता है

महात्मा गांधी के अंग्रेजों भारत छोड़ो नारे का प्रभाव बलिया में बढ़ता जा रहा था, न केवल स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, बल्कि विद्यार्थी एवं महिलाएं भी इस आंदोलन में कूद पड़ी थी.