बलिया. जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय के अकादमिक भवन में मंगलवार को हिन्दी विभाग द्वारा विशेष आमंत्रित व्याख्यान का आयोजन किया गया.
इस अवसर पर वसंता कॉलेज, राजघाट की हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रो शशिकला त्रिपाठी ने ‘ छायावाद: विविध आयाम’ विषय पर व्याख्यान दिया. व्याख्यान में छायावाद की विभिन्न विशेषताओं मसलन वैयक्तिकता, प्रकृति वर्णन, प्रेमानुभूति कल्पनाशीलता, सौंदर्य वर्णन आदि को विस्तार से समझाया. बताया कि छायावादी कविता में ईश्वरीय आलंबन समाप्त हो गया इसलिए उसमें वेदना की विवृत्ति दिखाई देती है. यहातक कि महादेवी वर्मा की कविताओं में भी जो रहस्यानुभूति है उसका आलंबन सगुण, साकार ईश्वर नहीं है. छायावाद ने प्रकृति को चेतन, सजीव रूप में देखा है. निराला की ‘ संध्या सुंदरी’ प्रसाद की ‘ बीती विभावरी जाग री’ आदि कविताएं इसका प्रमाण हैं. छायावादी कवियों ने नारी को भी स्नेह और सम्मान की अपूर्व दृष्टि से देखा है. पंत की ‘प्रिये, सहचरी, प्राण’ जैसी उक्तियाँ इसे प्रमाणित करती हैं. छायावाद की परवर्ती कविताएं शक्ति के मौलिक स्रोतों की भी तलाश करती हैं. अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए भाषा संकाय के डाॅ फूलबदन सिंह ने कहा कि छायावाद स्थूल के विरुद्ध सूक्ष्म का विद्रोह है. इसमें द्विवेदीयुगीन स्थूल जगत की जगह सूक्ष्म मनोजगत का वर्णन हुआ है. शंका समाधान सत्र में परिसर के विद्यार्थियों महिमा, शाइस्ता, आरती, पुष्पा आदि ने अपनी जिज्ञासायें रखीं, जिसका सम्यक् समाधान प्रो त्रिपाठी ने किया.
कार्यक्रम में स्वागत व संचालन हिन्दी प्राध्यापक डाॅ सुरारी पाण्डेय एवं धन्यवाद हिन्दी प्राध्यापक डाॅ प्रमोद शंकर पाण्डेय ने दिया.
इस अवसर पर निदेशक, शैक्षणिक डाॅ पुष्पा मिश्र, समाजशास्त्र की एसोसिएट प्रोफ़ेसर डाॅ प्रियंका सिंह, समाज कार्य की प्राध्यापिकाएं डाॅ अपराजिता उपाध्याय व डाॅ नीति कुशवाहा व विश्वविद्यालय परिसर के प्राध्यापक एवं विद्यार्थी आदि उपस्थित रहे.
छात्राओं ने आंगनबाड़ी केंद्र में शिशुओ के क्रियात्मक योग्यता के विकास पर किया अध्ययन
बलिया. जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय के एम. ए. गृह विज्ञान चतुर्थ सेमेस्टर की छात्राओं द्वारा लघु शोध कार्य के तहत अध्ययन क्षेत्र आंगनबाड़ी केंद्र अपायल शिक्षा क्षेत्र-बेरूआरबारी का चुनाव कर 0 से 12 माह शिशु के क्रियात्मक योग्यताओं के विकास पर छात्रा अनु यादव द्वारा अध्ययन किया गया. अध्ययन के दौरान आंगनबाड़ी सहायिका एवं कार्यकर्ताओं से प्रश्न पूछा गया एवं बच्चों के विकास से संबंधित उपकरणों के बारे में जानकारी भी प्राप्त हुई. आंगनबाड़ी सहायिका बुची सिंह ने बालक में विकास और वृद्धि से संबंधित जानकारी साझा करते हुए बाल विकास व मातृत्व कला पर भी चर्चा की. सहायक प्रोफेसर वंदना सिंह यादव ने बच्चों के विभिन्न आयु स्तर पर पोषक तत्वों की मात्रा एवं कमी से होने वाले रोगों के बारे में बताया। इस मौके पर सहायक प्रोफेसर वंदना सिंह यादव ,छात्राएं अनु यादव ,संयोगिता पाल ,क्षमता वर्मा ,शीला वर्मा ,आंगनबाड़ी सहायिका ,कार्यकत्री एवं बच्चे उपस्थित रहे.
(बलिया से केके पाठक की रिपोर्ट)