साहब! सिकंदरपुर को बिजली आखिर कब मिलेगी

सिकन्दरपुर (बलिया)। लगभग महीना बीतने को है, लेकिन बस स्टेशन चौराहा से मेन मार्केट में जाने वाली सड़क के दोनों तरफ रहने वाले नगर के लोग ट्रांसफॉर्मर जल जाने के कारण अंधेरे में रहने को मजबूर हैं. वैसे तो शिकायत हर अधिकारी से लेकर नेताओं तक से कर चुके हैं, फिर भी उसका कोई फायदा नहीं है. एक तरफ सूबे की सरकार विकास के बड़े-बड़े दावे कर रही है. लोगों को सुविधाओं को देने के दावे कर रही है, तो दूसरी तरफ लोग इन सुविधाओं से पूरी तरह से वंचित हो सरकार को ही कोस रहें है.

वही समाज के सेवक बन बैठे बड़े बड़े नेता जो केवल व्हाट्सअप, फेसबुक और ट्वीटर पर ही फोटो डलवाने से लेकर अपनी बातों को कहने में महारत हासिल कर लिए हैं. लोगों के परेशानियों से उन्हें कोई सरोकार नहीं है. बस फोटो खिंचवाया और फेसबुक, व्हाट्सअप और ट्वीटर पर डाला और हो गई समाज सेवा. लेकिन अब सबसे बड़ा प्रश्न यह उठता है कि क्या अब इन नेताओं का कार्य व्हाट्सअप, फेसबुक और ट्वीटर तक ही रह गया है या जनता के लिए भी कुछ है?

वैसे नेता को तो छोड़िए, जितने विभागीय लोग हैं, वे भी केवल खानापूर्ति ही करते हैं, जब कोई उच्च अधिकारी से इनकी शिकायत की जाती है, तो वह सीधे कहता है कि हमने विभाग के जेई व एसडीओ को कहा है और जब उससे बात होती है तो वह कहता है कि हम क्या करें हमारे बस में कुछ नहीं. वही विभाग के ही एक कर्मचारी ने कहा कि आप सब लोग कुछ पैसे इकट्ठा करके दे दीजिए हम आपका काम कर देंगे, जिस का मतलब यह है कि गरीब जनता हर प्रकार से ठगी जाए. वाह क्या लोकतंत्र है? और क्या सेवक?

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