बलिया लाइव नवरात्रि स्पेशल: ताल के किनारे ब्रह्माइन में स्थित है मां ब्रह्माणी का मंदिर

The temple of Maa Brahmani is situated in Brahmain on the banks of the lake.
बलिया में क्यों नाम पड़ा सुरहा ताल
ताल के किनारे ब्रह्माइन में स्थित है मां ब्रह्माणी का मंदिर
भक्तों की मन्नतें होती है पूरी

बलिया क्षेत्र के शंकरपुर स्थित मां भगवती के मंदिर में नवरात्र में दर्शन पूजन को श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. 15 अक्टूबर से साफ़ सफ़ाई व सजवाट शुरू कर दी गई है.

The temple of Maa Brahmani is situated in Brahmain on the banks of the lake.

मान्यता है कि राजा सुरथ ने  प्रतिमा यहां स्थापित की थी. इसका वर्णन दुर्गा सप्तशती के कवच प्रकरण में कर्णमूले तू शांकरी के नाम से आया है जिला मुख्यालय से करीब पांच किलोमीटर दूर बलिया-बांसडीह मुख्य मार्ग के किनारे स्थित मां भवानी के मंदिर पर दूर दराज से श्रद्धालु आते हैं और मां का दर्शन-पूजन कर मनोवांछित फल प्राप्त करते हैं.

शास्त्रीय आधार व मंदिर पुजारी ब्रजेंद्र नाथ पांडेय के अनुसार इस मंदिर में देवी प्रतिमा की स्थापना मार्कण्डेय पुराण के अनुसार राजा सुरथ द्वारा की गई है जो चैत्र वंश में उत्पन्न हुए थे. उनका समस्त भूमंडल पर अधिकार था.

The temple of Maa Brahmani is situated in Brahmain on the banks of the lake.

उनका शत्रुओं के साथ संग्राम हुआ जिसमें राजा सुरथ परास्त हो गए. शत्रुओं ने उनके साम्राज्य पर अधिकार कर लिया. पराजित राजा राजमहल छोड़ वन में निकल पड़े.

यहां उन्होंने मेधा ऋषि का आश्रम देखा जहां हिंसक जीव भी शांति से रह रहे थे. राजा ने मुनि के दर्शन किए और उन्हें अपना कष्ट बताया. इस पर मुनि ने राजा को देवी की शरण में जाने को कहा. राजा सुरथ जगदंबा के दर्शन के लिए सुरहा ताल तट पर रहकर तपस्या करने लगे. वर्षो बाद देवी ने राजा को दर्शन देकर उनकी अभिलाषा पूरी की.

राजा को उनका राज्य वापस मिल गया. राजा ने जहां तपस्या की थी वह ताल उन्हीं के नाम से सुरहाताल के रूप में प्रसिद्ध हुआ.

The temple of Maa Brahmani is situated in Brahmain on the banks of the lake.

इसी ताल के समीप राजा सुरथ ने पांच मंदिरों की स्थापना की जिनमें शंकरपुर की भवानी मंदिर, ब्रह्माइन की ब्रह्माणी देवी, असेगा का शोकहरण नाथ मंदिर, अवनिनाथ का मंदिर और बाबा बालखंडी नाथ का मंदिर शामिल हैं. मान्यता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से इन मंदिरों में माथा टेकते है और मन्नते मांगते है तो मां उनकी मनोकामना पूर्ण करती है. मन्नते पूर्ण होने पर भक्त चुनरी, कराह, फल, प्रसाद चढ़ाते हैं.

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