शास्त्रीय आधार व मंदिर पुजारी ब्रजेंद्र नाथ पांडेय के अनुसार इस मंदिर में देवी प्रतिमा की स्थापना मार्कण्डेय पुराण के अनुसार राजा सुरथ द्वारा की गई है जो चैत्र वंश में उत्पन्न हुए थे. उनका समस्त भूमंडल पर अधिकार था.
जहां गंगा स्नान के पश्चात लोग कलश स्थापना के लिए गंगा जी का मिट्टी लेकर अपने-अपने घरों तथा स्थलों पर पहुंच कलश स्थापना में लग गये.
नगर सहित ग्रामीण क्षेत्रों के देवी मन्दिरों को आकर्षक रूप से सजाया गया है.