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समस्त विकारों को समझ शिष्य को आत्मतत्व को बोध कराता है गुरु
सिकंदरपुर (बलिया)। ब्रम्ह परमात्मा को छोड़कर ब्रह्मादिक पंच ब्रम्ह एवं समस्त लोक-लोकांतर नश्वर है. ब्रम्हा, विष्णु, रुद्र, महाविष्णु और सदाशिव सभी अपनी शतायु पूरी कर क्रमशः अपने कारण तत्व में लीन होते हैं. यह विचार है परीब्रजकाचार्य स्वामी ईश्वरदास ब्रह्मचारी का.
वह डूंहा स्थित परम धाम में चल रहे गुरु पूजा महोत्सव एवं शिव शक्ति यज्ञ के तहत भक्तों के बीच प्रवचन कर रहे थे. कहा कि जब सदाशिव की आयु पूरी होती है तो अक्षर ब्रह्म की नेत्र पुतली गोलाई में एक बार घूम जाती है. इसलिए अक्षर की आयु गणना से परे है तो फिर अक्षर के शिरोमणि परमाक्षर की आयु कैसे गिनी जा सकती है.
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कहा कि ब्रम्ह की स्थिति को जानने वाला ब्रम्ह यज्ञ एवं शिक्षा की स्थिति को जानने वाला महापुरुष शिव तत्व प्राप्त जीव कहा जाता है. जिसको संत सदगुरु के माध्यम से जाना जा सकता है. कहा कि गुरुदेव जो ब्रह्म का चिंतन करते करते ब्रह्म तत्व शिव तत्व की उपाधि धारण कर लेते हैं, जो शिष्य के समस्त विकारों को समझ कर उसे पुनः आत्मतत्व का बोध कराते हैं.