पति के लिए बट सावित्री देवी की पूजा-अर्चना करती हैं महिलाएं 

साथ में अपने पति के दीर्घायु की कामना करते हुए गीत संगीत भी गाती हैं

संतोष शर्मा

सुहागन स्त्रियां वट सावित्री व्रत के दिन सोलह श्रृंगार करके सिंदूर, रोली, फूल, अक्षत, चना, फल और मिठाई से सावित्री, सत्यवान और यमराज की पूजा करती हैं. पूरे उत्तर भारत में इस दिन सुहागिनें 16 श्रृंगार करके बरगद के पेड़ चारों ओर इस दिन फेरें लगाती हैं ताकि उनके पति दीर्घायु हों और उन्नति के पथ पर आगे बढ़ें. प्यार, श्रद्धा और समर्पण के इस देश में यह व्रत सच्चे और पवित्र प्रेम की कहानी कहता है.आपको बता दें कि ऐसी मान्यता है कि इसी दिन मां सावित्री ने यमराज के फंदे से अपने पति सत्यवान के प्राणों की रक्षा की थी. भारतीय धर्म में वट सावित्री पूजा स्त्रियों का महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे करने से हमेशा अखंड सौभाग्यवती रहने का आशीष प्राप्त होता है.
कथाओं में उल्लेख है कि जब यमराज सत्यवान के प्राण लेकर जाने लगे तब सावित्री भी यमराज के पीछे-पीछे चलने लगी. यमराज ने सावित्री को ऐसा करने से रोकने के लिए तीन वरदान दिये. एक वरदान में सावित्री ने मांगा कि वह सौ पुत्रों की माता बने. यमराज ने ऐसा ही होगा कह दिया. इसके बाद सावित्री ने यमराज से कहा कि मैं पतिव्रता स्त्री हूं और बिना पति के संतान कैसे संभव है.

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जब सावित्री पति के प्राण को यमराज के फंदे से छुड़ाने के लिए यमराज के पीछे जा रही थी उस समय वट वृक्ष ने सत्यवान के शव की देख-रेख की थी. पति के प्राण लेकर वापस लौटने पर सावित्री ने वट वृक्ष का आभार व्यक्त करने के लिए उसकी परिक्रमा की इसलिए वट सावित्री व्रत में वृक्ष की परिक्रमा का भी नियम है.

सुहागन स्त्रियां वट सावित्री व्रत के दिन सोलह श्रृंगार करके सिंदूर, रोली, फूल, अक्षत, चना, फल और मिठाई से सावित्री, सत्यवान और यमराज की पूजा करें. वट वृक्ष की जड़ को दूध और जल से सींचें. इसके बाद कच्चे सूत को हल्दी में रंगकर वट वृक्ष में लपेटते हुए कम से कम तीन बार परिक्रमा करें. वट वृक्ष का पत्ता बालों में लगाएं. पूजा के बाद सावित्री और यमराज से पति की लंबी आयु एवं संतान हेतु प्रार्थना करें.