जानेमन नाटक की प्रस्तुति ने मन मोहा

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संभागीय नाट्य समारोह के चौथे दिन दर्शकों की उमड़ी भीड़
बलिया. कलेक्ट्रेट स्थित गंगा बहुउद्देशीय प्रेक्षागृह में जानेमन नाटक की शानदार प्रस्तुति ने दर्शकों का दिल जीत लिया.   व जिला प्रशासन बलिया के संयुक्त तत्वावधान में तथा संकल्प साहित्यिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्था बलिया के सहयोग से आयोजित चार दिवसीय संभागीय नाट्य समारोह के अंतिम दिन शाहजहांपुर की अभिव्यक्ति संस्था द्वारा मच्छिंद्र मोरे द्वारा लिखित व शमीम आज़ाद द्वारा निर्देशित नाटक जानेमन की शानदार प्रस्तुति की गई.

मंच पर भव्य सेट ने नाटक को और भी बेहतरीन बना दिया. जानेमन नाटक में किन्नर समुदाय की पीड़ा को दर्शाया गया है. किन्नर प्राकृतिक रचना ही नहीं बल्कि इन्हें किन्नर गुरु की वंशवेल के रूप में मर्द से किन्नर बनाया भी जाता है जिससे किन्नर गुरु अपनी एक चेलन के रूप में अपनी संतान /निशानी /चिन्ह स्वरूप छोड़कर इस नरक से मुक्ति पा लेती है.

ऐसी मान्यता है . नाटक के अनुसार किन्नर बनने को आतुर वह मर्द हुआ करते हैं जिनमें बचपन में हुए शोषण के कारण पुरुष के संसर्ग की चाह जाग उठती है और स्त्री बनने की इच्छा जाहिर करते हुए पुरुष अंग को हथियार से विक्षित करा कर बहुचर माता का वरदान की देवी बहुचर मानते हुए स्वीकार करते हैं और किन्नर जीवन की शुरुआत करते हैं. नाटक के एक दृश्य में किन्नर अपने समुदाय माता के समक्ष कहता है कि ” किन्नर ईश्वर के घर पैदा नहीं होते उन्हें तू बनाती है किन्नर ताकि तेरी पूजा होती रहे” नाटक जानेमन समाज के उन अवांछित तथ्यों पर प्रकाश डालता है जिसमें बच्चों के शोषण करने वाले स्वयंभू हैं या किसी किन्नर को नर्क से मुक्ति के समाधान में एक मर्द को जबरन अथवा स्वयं उसी की इच्छा से लिंगोच्छेदन करके किन्नर बना देना.

नाटक का सार यह है कि हिजड़ा सिर्फ पैदाइशी ही नहीं होता बनाया भी जाता है. उनका बनाने वाला इंसान खुद पढ़ा-लिखा होने के बावजूद मुकेश खुशी में हिजड़ा बनने के बाद नया नाम पता है बुलबुल.

निर्वाण के पश्चात बुलबुल से नगीना. लेकिन हिजड़ा जिंदगी से उसका मोह भंग होता है. अखाड़े के अंदर व्याप्त शोषण , हिजड़ा का तिरस्कार सामाजिक रूप से. अंत में वह सब त्याग कर का सुधार खाना खोलकर उन्हें इस नरक से बचाने का का प्रण लेकर अखाड़ा छोड़कर चला जाता है.
नाटक में कृष्ण कुमार श्रीवास्तव, राजेश भारती, विनोद दौलताबाद, अरुण कुमार, हर्षवीर, परविंदर सिंह, शैलेंद्र कुमार, अभिषांत पाठक, मयूर खन्ना, अभय कश्यप, कृष्ण कुमार, शिवम सिंह, ओमवीर सिंह, अमित राठौर ने अपने शानदार अभिनय से बलिया के दर्शकों का दिल जीत लिया.

नाटक में संगीत उषा सक्सेना, अभिषेक शुक्ला , प्रकाश व्यवस्था तसब्बर, मंच व्यवस्था विकास भारती का रहा. नाट्य प्रस्तुति के बाद उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी द्वारा अभिव्यक्ति संस्था के सचिव को एवं नाट्य समारोह की सहयोगी संस्था संकल्प के सचिव वरिष्ठ रंगकर्मी आशीष त्रिवेदी को प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया गया.
संगीत नाटक अकादमी की सर्वेक्षण अधिकारी शैलजा कांत ने सफल आयोजन के लिए जिला प्रशासन व संकल्प संस्था के साथ दर्शकों का आभार व्यक्त किया.

संकल्प संस्था एवं जागरूक शिक्षण संस्थान द्वारा सर्वेक्षण अधिकारी शैलजा कांत को प्रतीक चिन्ह और अंगवस्त्रम देकर सम्मानित किया गया. आयोजन को सफल बनाने में अकादमी के प्रशांत कुमार के साथ रंगकर्मी आनन्द कुमार चौहान, अखिलेश कुमार मौर्य, राहुल, आलोक, सुनील की महत्वपूर्ण भूमिका रही.
बलिया से केके पाठक की रिपोर्ट