लोकनायक जयप्रकाश नारायण को जयंती की पूर्व संध्या पर दी गई श्रद्धांजलि

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बलिया। लोकनायक जयप्रकाश नारायण की 120 वीं जयंती की पूर्व संध्या पर स्थानीय टाउन हॉल बापू भवन सभागार में सोमवार को जयप्रकाश नारायण फाउंडेशन के तत्वाधान में श्रद्धांजलि सभा एवं विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया ।

 

कार्यक्रम के प्रथम सत्र में दीप प्रज्वलन एवं लोकनायक जयप्रकाश नारायण एवं मानवाधिकारी नेता रहे स्वर्गीय चितरंजन सिंह के चित्र पर उपस्थित लोगों द्वारा पुष्पांजलि अर्पित की गई। इस अवसर पर रंगकर्मी आशीष त्रिवेदी और उनके साथियों द्वारा जेपी की याद में जनगीत ” जयप्रकाश का बिगुल बजा दो जाग उठी तरूणाई है , तिलक लगाने तुम्हें जवानों क्रांति द्वार पर आई है” । गीत प्रस्तुत किया गया।

 

कार्यक्रम के दूसरे सत्र में आजादी का अमृत काल और जेपी विषयक विचार गोष्ठी में बोलते हुए वरिष्ठ पत्रकार मोहन जी सिंह ने कहा कि आज भारत सरकार आजादी का अमृत महोत्सव मना रही है जबकि दूसरी तरफ बेरोजगारी , शिक्षा, स्वास्थ , खेती-किसानी एवं जीविका के साधन से देश की बहुतायत जनता जूझ रही है। ऐसे में जब हम जेपी की तरफ देखते हैं यह यक्ष प्रश्न उठता है कि उनके संकल्प व सपने के अनुरूप क्या देश बन पाया है।

 

गोष्ठी के मुख्य वक्ता अखिल भारतीय किसान महासभा उत्तर प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष जयप्रकाश नारायण ने कहा कि यह समय हमारे इतिहास का ब्लैक पीरियड है । देश की आजादी के लिए 1942 में गांधी जी के नेतृत्व में जो आंदोलन हुआ तो वर्ष 1974 में जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में सत्ता के विरूद्ध संपूर्ण क्रांति का आंदोलन भी एक तरह से दूसरी आजादी के लिए चला। आज देश का दुर्भाग्य है कि राजनीतिक दल सत्ता में आने के बाद एक पैरों से चलते हैं जबकि लोकतांत्रिक कल्याण के लिए दोनों पैरों से चलने की जरूरत है। देश में जिस तरह से नागरिक अधिकारों एवं संवैधानिक संस्थाओं को राज्यसत्ता द्वारा कुचला जा रहा है तो हमें जयप्रकाश नारायण याद आते हैं। क्योंकि इसी राजनीतिक राजसत्ता के दूर्व्यवस्था के विरुद्ध संविधान की रक्षा के लिए उन्होंने संपूर्ण क्रांति का उद्घोष किया था।

 

किसान नेता ने सरकार को घेरते हुए कहा कि लाल किले के प्राचीर से स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री नारी सशक्तिकरण की बात करते हैं वहीं दूसरी तरफ गुजरात की भाजपा सरकार उसी दिन बिलकिस बानो सामूहिक बलात्कार केस के सभी आरोपियों को दोषमुक्त कर रिहा करती है। यह निर्णय महिलाओं की स्वतंत्रता पर कुठाराघात है।

विचार गोष्ठी का विषय प्रवर्तन करते हुए जेपी फाउंडेशन के सचिव रणजीत सिंह एडवोकेट ने कहा कि आज सांप्रदायिकता एवं राजनीतिक हत्याएं लोकतंत्र के लिए खतरा है । संविधान की मूल भावनाओं को कुचलने का कार्य संघीय सरकार द्वारा किया जा रहा है । गोष्ठी में हरिमोहन सिंह , अखिलेश सिन्हा, जेपी सिंह , सुरेंद्र सिंह, सुर्य प्रकाश सिंह, पंकज राय , असगर अली , प्रदीप सिंह, पी एन राय , अमरेंद्र सिंह , बलवंत यादव , शैलेश धुसिया , मनोरंजन सिंह, रमाशंकर तिवारी, बृजेश राय , रणजीत सिंह सेंगर, विनोद सिंह सहित अन्य ने सहभागिता की । अध्यक्षता सिविल बार एसोसिएशन बलिया के पूर्व अध्यक्ष विनोद कुमार सिंह एडवोकेट एवं संचालन गोपाल सिंह एवं अखिलेश सिन्हा ने किया।

 

अंत में सपा संस्थापक एवं उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के निधन पर 2 मिनट का मौन रखकर दिवंगत आत्मा की शांति के लिए श्रद्धांजलि अर्पित की गई।

(बलिया से केके पाठक की रिपोर्ट)