शिक्षक पर्व समापन के अवसर पर ‘नयी शिक्षा नीति में शिक्षकों की भूमिका’ पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन

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बेल्थरारोड, बलिया. देवेन्द्र स्नातकोत्तर महाविद्यालय महाविद्यालय शुक्रवार को शिक्षक पर्व समापन के अवसर पर नयी शिक्षा नीति में शिक्षकों की भूमिका पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन पुस्तकालय सभागार में महाविद्यालय के प्राचार्य डॉo हरेराम सिंह की अध्यक्षता में आयोजित की गई.

 

गोष्ठी में विषय स्थापना करते हुए समाजशास्त्र विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर समरजीत सिंह ने वैदिक कालीन शिक्षा से लेकर आज की वर्तमान शिक्षा व्यवस्था पर प्रकाश डाला और बताया कि शिक्षक किस प्रकार से छात्र का भविष्य निर्मित करता है.

लेफ्टिनेंट डॉo मुकेश कुमार झा ने अपने उद्बोधन में नई शिक्षा नीति के संपूर्ण परिकल्पना को उद्बोधन किया एवं यह शिक्षा बच्चों के सर्वांगीण विकास हेतु कितना उपयोगी है, उस पर प्रकाश डाला.

 

विचार गोष्ठी में वरिष्ठ एसोसिएट प्रोफेसर डॉoअरविंद कुमार सिंह ने नई शिक्षा नीति की प्रासंगिकता एवं व्यावहारिक कठिनाइयों पर प्रकाश डाला. डॉo उमेश कुमार सिंह एवं श्री राम प्रताप चौरसिया ने भी शिक्षकों द्वारा किस प्रकार से छात्रों का भविष्य निर्माण किया जाता है, इस पर प्रकाश डाला विचार गोष्ठी को संबोधित करते हुए समाजशास्त्र के एसोसिएट प्रोफेसर डॉo शिवाकांत मिश्रा ने नई शिक्षा नीति को राष्ट्रीय शिक्षा नीति बताया एवं कहा कि इस शिक्षा नीति द्वारा भारत का नव निर्माण संभव है और नई शिक्षा की वर्तमान समस्याओं का समाधान करते हुए प्रत्येक व्यक्ति को कौशल विकास से परिपूर्ण करेगी.

 

गोष्ठी के मुख्य वक्ता के रूप में भूगोल के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ वीरेंद्र सिंह ने बताया कि इस नई शिक्षा नीति का उद्देश्य तभी पूर्ण होगा जब शिक्षक एवं छात्र दोनों मिलकर अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करेंगे तभी राष्ट्र का निर्माण हो सकता है. कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्राचार्य डॉ हरे राम सिंह ने अपने उद्बोधन में कहा कि बच्चो को अपनी इच्छा के अनुसार अनुसार शिक्षा ग्रहण करनी चाहिए.

 

नई शिक्षा नीति आज रचनात्मकता के साथ अभिरुचि को महत्व दे रही है और कला के साथ-साथ विज्ञान, संगीत, कॉमर्स इत्यादि की शिक्षा की सुविधा प्रदान करने का उल्लेख किया. कार्यक्रम का संचालन डॉ स्मिता सरोज एवं डॉ पंकज प्रेम ने संयुक्त रूप से किया.

(बेल्थरारोड संवाददाता उमेश गुप्ता की रिपोर्ट)