तेज आवाज वाले डीजे बजाने पर रोक लगाने की मांग

बलिया. परोपकार से बढ़कर कोई उत्तम कर्म नहीं और दूसरों को कष्ट देने से बढ़कर कोई नीच कर्म नहीं होता. दूसरों के दुख-दर्द को अपना समझना ही मानवता की असली पहचान है, लेकिन आजकल इंसान की इंसानियत और मानव की मानवता मरती जा रही है. नैतिकता केवल दूसरों को उपदेश देने की वस्तु बनकर रह गई है. यह बातें सामाजिक चिंतक बब्बन विद्यार्थी ने रविवार को व्यासी ढाला स्थित मंगल चबूतरा पर बुद्धिजीवियों एवं रंग कर्मियों की एक बैठक को संबोधित करते हुए कही.

 

बब्बन विद्यार्थी ने कहा कि आज के युवाओं पर पश्चिमी सभ्यता पूरी तरह से हावी होती जा रही है. शहर से गांव तक छोटे-बड़े समारोहों में शराब पीकर तेज आवाज में डीजे की अश्लील धुनों पर डांस करना फैशन बन गया है. उन्हें क्या मालूम कि आसपास रहने वाले हृदय, अस्थमा एवं कमजोर मरीजों पर डीजे की आवाज से क्या गुजरती होगी.

 

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इस मौके पर रंगकर्मी पन्नालाल गुप्त ने कहा कि तेज आवाज के तीव्र ध्वनि प्रदूषण के कारण मनुष्य का शरीर अनेक बीमारियों का घर बनता जा रहा है.  अतः सरकार को डीजे के तेज आवाज में बजने पर पूर्णतया प्रतिबंध लगा देना चाहिए.  इस मौके पर विश्वनाथ पांडेय, डॉक्टर सुरेशचंद्र प्रसाद, उमाशंकर पाठक ,राजू मिश्र, रफीक शाह, सूर्य प्रताप यादव, रविंद्र पाल मुखिया आदि लोग मौजूद रहे.

(बलिया से कृष्णकांत पाठक की रिपोर्ट)